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मेटा और बाइटडांस ने जानकारी के बावजूद नजरअंदाज किए युवाओं पर सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव- रिपोर्ट
सोशल मीडिया के लत और दुष्प्रभाव को लेकर लंबे समय से बात होती रही है

मेटा और बाइटडांस ने जानकारी के बावजूद नजरअंदाज किए युवाओं पर सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव- रिपोर्ट

लेखन रजनीश
Mar 14, 2023
11:33 am

क्या है खबर?

छोटे बच्चों और युवाओं में सोशल मीडिया की लत और उसके दुष्प्रभाव को लेकर लंबे समय से बात की जा रही है। ऐसा नहीं है कि इससे होने वाले नुकसान के बारे में सोशल मीडिया कंपनियों और उनके CEO को जानकारी नहीं है। सब कुछ पता होने के बाद भी ये सब इन मामलों की अनदेखी करते हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी मेटा और टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस के कर्मचारियों को भी इनके हानिकारक प्रभावों की जानकारी थी।

मुकदमा

अदालती दस्तावेजों से पता चला, जुकरबर्ग को थी पूरी जानकारी

मेटा और बाइटडांस ने सोशल मीडिया की लत और उसके दुष्प्रभाव को लेकर अदालत में फाइल किए गए केसों को कमजोर करने की कोशिश की थी। पूर्व में दायर किए गए एक मुकदमे में इसका खुलासा हुआ, लेकिन उससे जुड़ी ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी। अब कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में संघीय अदालत में दायर दस्तावेज से पता चला है कि मेटा CEO मार्क जुकरबर्ग सहित इंजीनियरों को सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान के बारे में पता था।

जानकारी

मेटा कर्मचारी ने 2021 में कही थी ये बात

अदालती दस्तावेजों के अनुसार, मेटा के एक कर्मचारी ने 2021 में लिखा, "कोई भी यह सोचकर नहीं उठता है कि वो उस दिन इंस्टाग्राम पर काफी समय बिताएंगे, लेकिन हमारी प्रोडक्ट टीम ठीक यही करने की कोशिश कर रही है।"

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परेशानी

अलग-अलग शिकायतों को इकट्ठा कर दायर की गई शिकायत

बच्चों और युवाओं द्वारा अमेरिका में दायर अलग-अलग शिकायतों को इकट्ठा कर ऑकलैंड में शिकायत दायर की गई। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिक-टॉक, स्नैपचैट और यूट्यूब की वजह से वो चिंता, डिप्रेशन, नींद न आने की समस्या से पीड़ित हैं। सोशल मीडिया कंपनियों पर एक दर्जन से अधिक आत्महत्याओं का भी आरोप लगाया गया है। साथ ही आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर ऐसे एल्गोरिदम तैयार किए हैं जो बच्चों को खतरनाक रास्ते पर ले जाते हैं।

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बचाव

बचाव में 1996 के कानून का सहारा लेती हैं सोशल मीडिया कंपनियां

सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां अपने बचाव में 1996 के एक कानून का सहारा लेती हैं। यह कानून इंटरनेट प्लेटफॉर्म को यूजर्स द्वारा पोस्ट किए गए हानिकारक कंटेंट के दावों से रक्षा प्रदान करता है। बाइटडांस के दस्तावेजों के अनुसार, कंपनी को पता है कि प्लेटफॉर्म पर देखे जाने वाले खतरनाक स्टंट को युवा दोहराते हैं, जिसे वायरल चैलेंज कहा जाता है क्योंकि उनमें जोखिम को आंकने की पूरी क्षमता अभी नहीं है।

मेटा

जुकरबर्ग को व्यक्तिगत तौर पर दी गई थी चेतावनी

फाइलिंग के एक और हिस्से का तर्क है कि इंस्टाग्राम और फेसबुक का उपयोग करने वाले बच्चों की समस्याओं को समाधान करने की जगह मेटा ने अपनी मेंटल हेल्थ टीम का फंड बंद कर दिया था। फाइलिंग कहती है कि जुकरबर्ग को मेटा प्लेटफॉर्म द्वारा मुख्य मुद्दों पर पूरी तरह से ध्यान नहीं देने को लेकर व्यक्तिगत तौर पर चेतावनी दी गई थी। यह भी कहा गया था कि इससे युवा और क्रिएटर्स सभी प्रभावित होते हैं।

कंपनियां

यूजर्स की सुरक्षा को प्राथमिकता बताती रही हैं कंपनियां

सोशल मीडिया कंपनियों पर कंटेंट से लेकर लोगों के विचारों तक को प्रभावित करने के आरोप लगते रहे हैं। वहीं कंपनियां अपनी सफाई में कहती हैं कि यूजर्स की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और उन्होंने माता-पिता को अपने बच्चों के प्लेटफॉर्म के उपयोग का अधिक कंट्रोल देने और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े और अधिक रिसोर्स प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। इस पूरे मामले में मेटा, टिकटॉक, स्नैपचैट की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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