कोरोना: देश के 42% सक्रिय मामले केरल में, राष्ट्रीय औसत से पांच गुना अधिक संक्रमण दर
देश में अब धीरे-धीरे कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है। वैक्सीनेशन अभियान के जारी होने के कारण अब इसमें और कमी आने की उम्मीद है, लेकिन एक समय महामारी के प्रबंधन में रोल मॉडल बनकर उभरा केरल अब सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। हालत यह है कि यहां संक्रमण की दर राष्ट्रीय औसत से पांच गुना अधिक है। इतना ही नहीं, वर्तमान में यहां देश के कुल संक्रमण के 42 प्रतिशत से अधिक मामले हैं।
केरल में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
केरल में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 9,05,592 पर पहुंच गई है। इनमें अब तक 8,29,452 मरीज उपचार के बाद ठीक हो चुके हैं और 3,664 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसी तरह वर्तमान में 72,476 सक्रिय मामले हैं। इसके उलट देश में सक्रिय मामलों की संख्या 1,73,807 है। ऐसे में केरल में देश के कुल सक्रिय मामलों का 41.69 प्रतिशत है। तमाम प्रयासों के बाद भी सक्रिय मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
राज्य के अस्पतालों में लगभग भरे हुए हैं ICU बेड
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार वर्तमान में केरल के अस्पतालों में स्थित करीब 90 प्रतिशत ICU बेड भरे हुए हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राज्य में कुल 3,050 ICU बेड है। इनमें सरकारी अस्पतालों में 1,200 और निजी अस्पतालों में 1,850 ICU बेड है। अमेरिका से लौटे स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ एसएस लाल ने कहा कि वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में हैं, लेकिन स्थिति बिगड़ने की सूरत में अस्थाई अस्पतालों की व्यवस्था करनी पड़ेगी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह बताया बढ़ते संक्रमण का कारण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केरल में तेजी से बढ़ते संक्रमण के पीछे सरकार द्वारा की गई RT-PCR टेस्ट की अनदेखी को प्रमुख कारण बताया है। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार ने रैपिड एंटीजन टेस्ट पर जोर दिया। इससे सभी संक्रमण के मामले पकड़ में नहीं आए और वह सुपर स्प्रेडर बन गए। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि राज्य में अभी भी जांच से बचे लोग तेजी से संक्रमण फैला रहे हैं और राज्य लगातर रेड जोन की ओर बढ़ रहा है।
राज्य में 66 प्रतिशत हुए एंटीजन टेस्ट
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ लाल के अनुसार राज्य में सोमवार तक कुल 92,89,304 टेस्ट किए गए हैं। इनमें से 66 प्रतिशत रैपिड एंटीजन तथा 34 प्रतिशत RT-PCR टेस्ट हैं। यही कारण है कि राज्य में तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है।
इस तरह से बढ़ी संक्रमण की दर
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में पिछले तीन महीनों में संक्रमण की स्थिति काफी बिगड़ गई है। राज्य में गत अक्टूबर में संक्रमण की दूसरी लहर के बाद तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। उस दौरान संक्रमण की औसत दर 13 प्रतिशत थी जो 13 अक्टूबर 18.16 प्रतिशत पर पहुंच गई। नवंबर में यह आठ प्रतिशत, दिसंबर में नौ प्रतिशत पर आ गई। इसी तरह 25 जनवरी को यह फिर से बढ़ते हुए 12.48 प्रतिशत पर पहुंच गई।
देश के सबसे प्रभावित 20 जिलों में से 12 केरल में
आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में केरल में सक्रिय मामलों की संख्या 72,476 पर पहुंच गई है। यही कारण है कि देश के 20 सबसे प्रभावित जिलों में से 12 केरल में स्थित है। इनमें एर्नाकुलम और कोझिकोड जिले राज्य में शीर्ष पर स्थित हैं।
चेतावनी के बाद भी सख्त कदम नहीं उठा रही है सरकार
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के केरल चैप्टर ने राज्य सरकार को वह एर्नाकुलम में लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने की सलाह दी है, लेकिन सरकार अनिच्छुक नजर आ रही है। वर्तमान में सरकार का ध्यान तीन महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। IMA केरल अध्यक्ष पीटी जकारिया ने कहा, "एर्नाकुलम जैसे कुछ जिलों में लॉकडाउन की सख्त जरूरत है। वैक्सीन आने के बाद लोग पूरी तरह से लापरवाह हो गए हैं।"
कम मृत्यु दर है राज्य के लिए एकमात्र राहत
राज्य के लिए एकमात्र राहत मृत्यु दर का कम होना है। महामारी विशेषज्ञ डॉ बी रमन कुट्टी ने कहा कि राज्य में जिनोमिक अध्ययन की जरूरत है। इससे राज्य में नए स्ट्रेन का पता चल सकेगा, जो संक्रमण को तेजी से बढ़ा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों ने मौत के आंकड़ों में हेरफेर की बात भी कही है। उनके अनुसार सरकारी और निजी अस्पतालों तथा स्वास्थ्य स्वयंसेवकों के आंकड़ों में बड़ा अंतर है। वास्तविक मौतों की संख्या तीन गुना अधिक है।
कोरोना जैसे लक्षणों से मरने वालों का नहीं है सूची में नाम
तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज के एक सरकारी डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना से होने वाली मौतों के आधिकारिक आंकड़ों और हकीकत में काफी असमानता है। यहां तक कि कोरोना के लक्षणों से जान गंवाने वाले एक विधायक और एक युवा नेता का नाम भी मृतकों की सूची में नहीं है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव थी। अधिकारियों का कहना है कि आंकड़ों में ज्यादा असमानता नहीं है।
स्थिति को बनाए रखने में विफल रही सरकार- लाल
स्वास्थ्य विशेषज्ञ लाल ने कहा, "शुरुआत में महामारी पर नियंत्रण के बाद सरकार उसे कायम रखने में विफल रही है। हालत यह है कि राज्य अब रिकॉर्ड आंकड़ों की ओर बढ़ रहा है। सरकार ने विशेषज्ञों की चेतावनी की भी अनदेखी की है।"