दाऊद इब्राहिम से जुड़े हो सकते हैं केरल सोना तस्करी के मामले के तार- NIA
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बुधवार को अदालत को बताया है कि केरल में सोने की तस्करी के मामले के तार वांछित आतंकी दाऊद इब्राहिम की गैंग से जुड़े हो सकते हैं।
एजेंसी ने कहा कि केरल में तस्करी से होने वाली आय का इस्तेमाल का भारत-विरोधी और आतंकी गतिविधियों के लिए होता था। यह कहते हुए एजेंसी ने मामले में गिरफ्तार आरोपियों को जमानत देने का विरोध किया।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
जुलाई में केरल के त्रिवेंद्रम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने 13 करोड़ रुपये की कीमत का लगभग 30 किलोग्राम सोना जब्त किया था। यह सोना संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के दूतावास के एक राजनयिक सामान में छिपाकर लाया गया था।
राजनयिक सामान की जांच से पहले उच्च-स्तर से मंजूरी लेनी होती है। इसलिए तस्कर इनमें छिपाकर सोना लाए थे ताकि आसानी से इसकी जांच न हो।
मामले के तूल पकड़ने के बाद इसकी जांच NIA को सौंपी गई थी।
दलील
आरोपियों के राजनयिक संबंधों की जांच जरूरी- NIA
बुधवार को एजेंसी ने अदालत में सुनवाई के दौरान सेंट्रल इकॉनोमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो (CEIB) द्वारा पिछले साल अक्टूबर में NIA के महानिदेशक को दी गई रिपोर्ट का जिक्र किया। NIA ने यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को भी सौंपी है।
सुनवाई के दौरान NIA ने बताया कि इस मामले में आरोपियों को हिरासत में रखकर उनके राजनयिक संबंधों की जांच करना जरूरी है।
इसी आधार पर एजेंसी ने आरोपियों को जमानत देने का विरोध किया।
दलील
आरोपियों की 180 दिनों की न्यायिक हिरासत की जरूरत- NIA
एजेंसी ने बताया कि रमीस नामक एक आरोपी ने पूछताछ में बताया है कि उसका तंजानिया में हीरों का कारोबार है और उसने वहां से सोना लाकर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बेचा था।
NIA ने अदालत में खुफिया एजेंसियों की उन रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया है कि तंजानिया में दाऊद इब्राहिम का हीरों का कारोबार संभालने वाला फिरोज दक्षिण भारत से है।
एजेंसी ने कहा कि इस मामले में आरोपियों की 180 दिन की न्यायिक हिरासत जरूरी है।
जांच
तस्करी मामले में नाम आने के बाद आरोपी ने फॉर्मेट किया अपना
NIA ने अदालत को यह भी बताया कि एक और आरोपी मोहम्मद अली पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का सदस्य है और 2010 में एक प्रोफेसर के हाथ काटने के मामले में आरोपी था। पुलिस ने अली के खिलाफ चार्जशीट भी दायर की थी, लेकिन सुनवाई के दौरान अधिकतर गवाह अपने बयानों से पलट गए थे। इसलिए उसे बरी कर दिया गया।
सोने की तस्करी में नाम आने के बाद उसने 19 जुलाई को अपना मोबाइल फोन फॉर्मेट किया था।