इस्लामिक समूह के महासचिव के PoK दौरे पर भारत ने जताई आपत्ति, कहा- दखल बर्दाश्त नहीं
क्या है खबर?
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के दौरे और जम्मू-कश्मीर पर विवादित टिप्पणी पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि OIC स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक, पक्षपातपूर्ण और तथ्यात्मक रूप से गलत दृष्टिकोण लेकर अपनी विश्वसनीयता खो चुका है और भारत अपने आंतरिक मसलों में दखल बर्दाश्त नहीं करेगा।
OIC पहले भी जम्मू-कश्मीर के मामले में दखल दे चुका है।
विवाद
क्या है पूरा विवाद?
OIC महासचिव ताहा 10-12 दिसंबर को पाकिस्तान के दौरे पर आए थे और इस दौरान PoK गए।
यहां अपने बयान में उन्होंने कहा था कि कि कश्मीर विवाद उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में है और OIC भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का रास्ता ढूंढ रहा है, ताकि इसका कोई हल निकाला जा सके।
उन्होंने कहा था कि वह अन्य देशों के साथ मिलकर कश्मीर विवाद के समाधान का खाका तैयार कर रहे हैं और इसकी रिपोर्ट OIC को सौंपी जाएगी।
नसीहत
OIC आंतरिक मामलों में न दे दखल- विदेश मंत्रालय
मामले पर भारत का रुख साफ करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हम OIC के महासचिव के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के दौरे और पाकिस्तान की यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर पर उनकी टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हैं।"
उन्होंने कहा, "OIC के पास जम्मू-कश्मीर से संबंधित मामलों में दखल देने का कोई हक नहीं है, जोकि भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है... भारत के आंतरिक मसलों में यह दखल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"
हमला
पाकिस्तान के मुखपत्र बन गए हैं OIC के महासचिव
बागची ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि OIC के महासचिव पाकिस्तान के मुखपत्र बन गए हैं और उन्हें भारत में सीमा पार, विशेष रूप से जम्मू कश्मीर में, आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के एजेंडे से बचना चाहिए।
बता दें कि OIC महासचिव ताहा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भी कश्मीर के विवाद के समाधान को लेकर उनके कूटनीतिक प्रयासों की जानकारी दी थी।
वैश्विक संगठन
क्या है OIC?
OIC 57 देशों का एक वैश्विक संगठन है और इसके सारे सदस्य मुस्लिम बहुल देश हैं। संगठन की स्थापना 1969 में हुई थी और यह खुद को 'मुस्लिम समाज की सामूहिक आवाज' के तौर पर परिभाषित करता है।
संगठन के माध्यम से इस्लामी देश मुस्लिम समुदाय से जुड़े राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है। पाकिस्तान भी इसका सदस्य है।