कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बेहद कम, लेकिन स्कूल खोलने में सतर्कता की जरूरत- गंगाखेडकर
देश में अगले महीने तक कोरोना की तीसरी लहर आने की बात कही जा रही है, लेकिन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रमन गंगाखेडकर ने कहा कि इसकी आशंका बहुत कम है और अगर यह आती है तो दूसरी लहर की तरह खतरनाक नहीं होगी। महामारी विशेषज्ञ और पूर्व में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से जुड़े रहे गंगाखेडकर ने यह भी कहा कि कोरोना के खतरे को देखते हुए सरकारों को स्कूल खोलने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
नया वेरिएंट आने तक चिंता की बात नहीं- गंगाखेडकर
न्यूज18 को दिए इंटरव्यू में गंगाखेडकर ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं, लेकिन अगर कोई नया वेरिएंट नहीं आता है तो चिंता की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि लेम्ब्डा और म्यू जैसे वेरिएंट तेजी से म्यूटेट हो रहे हैं, लेकिन अभी तक डेल्टा जितने संक्रामक नहीं हो सके हैं। लोगों से ऐहतियात बरतने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन ही महामारी से बचाव का सबसे सुरक्षित तरीका है।
बच्चों पर भी लॉन्ग कोविड का खतरा- गंगाखेडकर
गंगाखेडकर ने कहा कि यह समझा जाता था कि बच्चों में व्यस्कों की तुलना में अधिक इम्युनिटी होती है, जिससे वो गंभीर संक्रमण से बच सकते हैं। हालांकि, उन अध्ययनों को खारिज नहीं किया जाना चाहिए, जिनमें कहा गया है कि बच्चे भी लॉन्ग कोविड का शिकार हो सकते हैं। उन्होंने कहा व्यस्कों में कोरोना से ठीक होने के बाद अनिद्रा, मोटापा, डायबिटीज और दूसरी परेशानियां देखी गई हैं। यह वायरस शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचा सकता है।
"स्कूल खोलने को लेकर सतर्क रहने की जरूरत"
अलग-अलग सरकारों द्वारा स्कूल खोलने के फैसलों के बीच गंगाखेडकर ने कहा कि इसके लिए विकेंद्रीकृत नीति की जरूरत है। स्कूल खोलने की फैसला जिला प्रशासन की तरफ से लिया जाना चाहिए। इसके लिए कम से कम बीते दो सप्ताह के आंकड़ों को आधार बनाया जाना चाहिए। स्थानीय स्तर पर संक्रमण को खोलकर स्कूल खोलने चाहिए। उन्होंने कहा, "बच्चों की सेहत संवेदनशील मुद्दा है। पढ़ाई जरूरी है, लेकिन इसके लिए संतुलित नजरिये के साथ आगे बढ़ना चाहिए।"
मौसमी बीमारी बनकर रह सकती है कोरोना महामारी- गंगाखेडकर
पिछले साल ICMR से रिटायर होने वाले गंगाखेडकर ने कहा कि कोरोना महामारी इंफ्लूएंजा वायरस बनकर रह सकती है। उन्होंने कहा, "वैक्सीनेशन के बाद लोगोें में लक्षण दिखने बंद हो सकते हैं या वो गंभीर संक्रमण से बच सकते हैं। इसके अलावा वो टेस्टिंग के लिए भी नहीं जाएंगे, जिससे समय के साथ कोरोना के मामले कम होते जाएंगे।" उन्होंने कहा कि जोखिम वाली जगहों पर संक्रमण के मामले सामने आ सकते हैं और यह धीरे-धीरे मौसमी बीमारी बन जाएगी।
भारत में संक्रमण और वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
भारत में बीते दिन कोरोना के 27,254 नए मामले सामने आए और 219 मरीजों की मौत हुई। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 3,32,64,175 हो गई है। इनमें से 3,74,269 सक्रिय मामले हैं और 4,42,874 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 74,38,37,643 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 53,38,945 खुराकें लगाई गई थीं। धीरे-धीरे वैक्सीनेशन रफ्तार पकड़ रहा है।