कोरोना वायरस: कैसे भारत ने पिछले दो महीने में 100 गुना बढ़ाई प्रतिदिन टेस्ट की संख्या?
भारत में पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के रिकॉर्ड नए मामले सामने आ रहे हैं और अब तक 1.18 लाख लोगों को इससे संक्रमित पाया जा चुका है जिनमें से 3,583 की मौत हुई है। लॉकडाउन में रियायत के अलावा मामलों में इस तेजी का एक बड़ा कारण टेस्टिंग में इजाफा भी है। पिछले दो महीने में देश ने अपनी टेस्टिंग की क्षमता में जबरदस्त सुधार किया है और प्रतिदिन टेस्टिंग की संख्या 100 गुना बढ़ गई है।
इस तरह बढ़ी टेस्टिंग करने वाली लैबों की संख्या
भारत में पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की लैब में 24 जनवरी को कोरोना वायरस का पहला टेस्ट हुआ था। इसके बाद अगले कुछ दिन केवल पुणे की लैब में ही टेस्ट हुए। फरवरी के पहले हफ्ते तक ये संख्या बढ़कर चार हो गई। इसके बाद धीरे-धीरे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के नेटवर्क में आने वाली सभी लैबों में टेस्टिंग शुरू की गई। अभी देशभर में 555 सरकारी और प्राइवेट लैब कोरोना वायरस की टेस्टिंग कर रही हैं।
60 दिनों में 100 गुना बढ़ी प्रतिदिन टेस्ट की संख्या
ICMR के अनुसार, भारत अब तक कोरोना वायरस के 27 लाख से अधिक टेस्ट कर चुका है। मार्च की शुरूआत में देश में प्रतिदिन 1,000 टेस्ट किए जा रहे थे और अब पिछले चार दिन से ये संख्या एक लाख से अधिक हो गई है। इसका मतलब पिछले 60 दिन में ही भारत की प्रतिदिन टेस्टिंग करने की संख्या 100 गुना बढ़ चुकी है। इस वृद्धि को सही दिशा में एक कदम माना जा सकता है।
अन्य देशों के मुकाबले कहां है भारत?
अन्य देशों से तुलना करें तो भारत इतनी वृद्धि के बावजूद काफी पीछे बना हुआ है। भारत अभी प्रति 10 लाख लोगों पर लगभग 2,000 टेस्ट कर रहा है। अन्य देशों के आंकड़े देखें तो स्पेन प्रति 10 लाख की आबादी पर 65,000 टेस्ट कर रहा है। वहीं अमेरिका और जर्मनी दोनों प्रति 10 लाख की आबादी पर लगभग 38,000 टेस्ट कर रहे हैं। फ्रांस में प्रति 10 लाख लोगों में से 21,000 का टेस्ट किया जा रहा है।
देश के कोने-कोने में टेस्ट किट पहुंचाने के लिए लाइफलाइन उड़ान अभियान
दुनिया की दूसरी सबसे अधिक जनसंख्या और सांतवें सबसे अधिक क्षेत्रफल वाले देश भारत में कोने-कोने में टेस्टिंग करना भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती है और अपने 'लाइफलाइन उड़ान अभियान' के जरिए केंद्र सरकार इससे पार पाने में कामयाब रही है। पूरे देश में 16 भंडार गृहों का एक नेटवर्क बनाया गया है ताकि यात्रा में लगने वाले समय में कटौती हो और लैबों के पास टेस्ट किट की कमी की समस्या से बचा जा सके।
बड़े पैमाने पर टेस्टिंग में प्रयोग होने वाले सामानों का उत्पादन
टेस्टिंग के सामानों के उत्पादन में भी तेजी लाई गई है। भारत की ही एक प्राइवेट कंपनी अब तक एक करोड़ RT-PCR टेस्ट और 50 लाख वायरल एक्सट्रेक्शन किट बना चुकी है। अभी देश में इस्तेमाल हो रही चार में से तीन टेस्टिंग किट भारत में ही निर्मित की गई हैं। इसके अलावा तीन कंपनियां टेस्टिंग के लिए रोजाना दो लाख स्वैब बना रही हैं। ICMR के अनुसार, भारत अब टेस्टिंग क्षमता के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर है।