केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, दिल्ली की अवैध कॉलोनियों को किया जायेगा पक्का
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। केंद्र ने दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख लोगों को मालिकाना हक देने का ऐलान किया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इन कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला लिया गया। अब इन कॉलोनियों में रजिस्ट्री हो सकेगी और संपत्ति के मालिकों को उनका मालिकाना हक भी मिलेगा। पिछले 11 सालों से यह मामला लंबित था।
मार्च में हुआ था कमेटी का गठन
जानकारी के लिए बता दें कि इस साल मार्च में मोदी सरकार ने इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने के मुद्दे पर विचार करने के लिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक 10 सदस्य समिति का गठन किया था।
दिल्ली सरकार ने भेजा था प्रस्ताव
जुलाई मे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि 2015 में उनकी सरकार बनते ही इस संबंध में केंद्र के पास प्रस्ताव भेजा गया था। इस पर केंद्र ने सहमति दी है। तब केजरीवाल ने कहा था कि कच्ची कॉलोनियों के विकास पर दिल्ली सरकार करीब 6,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि पुरानी सरकारें चुनावों के समय वादे करती थी, लेकिन जीतने के बाद इन कॉलोनियों की सुध नहीं लेती थी।
केजरीवाल ने केंद्र को दिया धन्यवाद
कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने के केंद्र सरकार के फैसले का केजरीवाल ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार लंबे समय से इसकी लड़ाई लड़ रही थी। उन्होंने फैसले के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया है।
दिल्ली में तीन तरह की जमीनों पर बनी हैं कॉलोनियां
दिल्ली में तीन तरह की जमीनों पर अवैध कॉलोनियां बनी हैं। इनमें से एक किसानों की जमीन पर बनी लगभग 800 कॉलोनियां, दूसरी ग्रामसभा की जमीनों पर बनी लगभग 300-400 कॉलोनियों और तीसरी सरकारी जमीनों पर बनी लगभग 500 कॉलोनियां है। दिल्ली में दो फेज में कॉलोनियों को नियमित करने का काम किया जा रहा है। केंद्र ने कहा है कि अगर 1 जनवरी 2015 तक 1797 के अलावा कोई कॉलोनी बची है तो उसकी भी लिस्ट तैयार की जाए।
अवैध कॉलोनियों की संख्या पर भी सवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में कच्ची कॉलोनियों की संख्या को लेकर स्पष्टता नहीं है। साल 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार एरियल सर्वे करवाया था। उस समय बताया गया कि दिल्ली में 1200 के आसपास कच्ची कॉलोनी हैं, जिसे शीला दीक्षित सरकार ने अथॉराइज करने की कोशिश की थी। अब बताया जा रहा है कि दिल्ली में ऐसी कॉलोनियां की संख्या 1,797 है। ऐसे में इनकी संख्या को लेकर भी स्पष्टता की कमी है।
विशेषज्ञ मान रहे चुनावी लॉलीपॉप
विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में कच्ची कॉलोनियों को नियमित करना आसान काम नहीं है और यह एक तरह से चुनावी लॉलीपॉप की तरह है। जानकारों का कहना है कि कच्ची कॉलोनियों को पक्का करने के लिए कई कानूनों में संसोधन करना पड़ेगा और विशेष छूट देनी पड़ेगी। इसमें लंबा समय लगेगा। ऐसे में चुनावों से पहले लोगों को मालिकाना हक देने की बात चुनावी लॉलीपॉप के अलावा कुछ नहीं है।