जब एक वोट के कारण गिरी सरकार, समझें एक वोट का महत्व और इसका इतिहास
चुनावी समय चल रहा है, ऐसे में हर मतदाता वोट का महत्व समझ रहा है। अक्सर बड़े चुनावों में एक वोट की ताकत को कम समझा जाता है, लेकिन इतिहास पर नजर डालने से एक वोट के महत्व को समझा जा सकता है। पूरी दुनिया का इतिहास इस बात की गवाह है कि सरकार बनाने और गिराने के लिए एक वोट ही काफी है। आइये आज हम आपको एक वोट की ताकत और इसके इतिहास के बारे में बताते हैं।
अटल बिहारी की सरकार का गिरना
देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल है। 1999 में अटल जी की सरकार केवल एक वोट से गिर गई थी। जानकारी के अनुसार, अप्रैल, 1999 में 13 महीने पुरानी अटल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। प्रस्ताव मात्र एक वोट की वजह से पास हुआ था। प्रस्ताव के पक्ष में 270 वोट पड़े थे, जबकि उसके खिलाफ में 269 वोट पड़े थे, इस वजह से अटल जी की सरकार गिर गई।
एक वोट से करना पड़ा सीपी जोशी को हार का सामना
राजस्थान में 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी का मुकाबला भाजपा के कल्याण सिंह चौहान के साथ था। चौहान को 62,216 वोट पड़े, जबकि जोशी को 62,215 वोट पड़े थे। एक वोट ने जोशी के सपनों पर पानी फेर दिया।
आधे वोट से जीते थे अहमद पटेल
गुजरात राज्यसभा की तीन सीटों के लिए 2017 में चुनाव हुए थे। एक सीट पर कांग्रेस की तरफ से अहमद पटेल चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी थी, जिससे पटेल की जीत मुश्किल हो गई थी। कांग्रेस के दोनों विधायकों के वोट रद्द हो गए थे। अब जीतने के लिए वोटों की संख्या 43.5 कर दी गई। पटेल को 44 वोट पड़े ऐसे में वह आधे वोट से जीत गए।
एक वोट से हार गए ए आर कृष्णमूर्ति
कर्नाटक विधानसभा 2004 के चुनाव में ए आर कृष्णमूर्ति जनता दल सेक्युलर (JDS) के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उनके विरोधी ध्रुवनारायण को 40,752 वोट मिले, जबकि कृष्णमूर्ति को एक वोट कम 40,751 वोट मिले। इस तरह वह एक वोट से चुनाव हार गए थे।
एक वोट से इंग्लैण्ड की प्रधानमंत्री बनी मार्गरेट थैचर
इंग्लैण्ड के इतिहास पर नजर डालें तो 1979 में मार्गरेट थैचर विपक्ष की नेता हुआ करती थीं। उस समय लेबर पार्टी सत्ता में थी और जेम्स कैलहन प्रधानमंत्री थे। थैचर ने कैलहन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के पक्ष में 311 जबकि विपक्ष में 310 वोट पड़े। एक वोट से प्रस्ताव पास हुआ और थैचर जीत के साथ एक मजबूत नेता के तौर पर सामने आईं। एक वोट ने थैचर को इंग्लैण्ड का प्रधानमंत्री बना दिया था।
हिटलर के खिलाफ पड़ा था एक वोट
नाजी पार्टी की स्थापना 1919 में हुई और 1921 में हिटलर ने पार्टी की कमान संभाली। पार्टी के कई सदस्य हिटलर के खिलाफ थे। उन्होंने उसकी शक्तियों को सिमित करने की कोशिश की, जिससे हिटलर ने पार्टी छोड़ दी। बाद में वह अपनी शर्त पर पार्टी में वापस आए। 29 जुलाई को हिटलर को पार्टी का चेयरमैन चुनने के लिए चुनाव हुआ और 554 सदस्यों में से एक ने उसके खिलाफ वोट दिया। उस समय यह बड़ी बात थी।