सुरक्षा में सेंध के बाद केंद्र ने लोकसभा के अहम सुरक्षा पद के लिए नाम मांगे
केंद्र सरकार लोकसभा की सुरक्षा में हुई चूक के बाद से लगातार निशाने पर हैं। इस बीच उसने राज्य सरकारों से लोकसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव (सुरक्षा) पद के लिए नामों का प्रस्ताव देने को कहा है। यह नए संसद भवन के लिए सुरक्षा का प्रभारी कार्यालय है। यह पद पिछले 48 दिनों से खाली पड़ा है, लेकिन 13 दिसंबर को हुई सुरक्षा में लापरवाही बाद सरकार हरकत में आई है।
गृह मंत्रालय ने पत्र लिखकर नामांकन भेजने को कहा
गृह मंत्रालय की तरफ से 14 दिसंबर को 10 लाइन का एक पत्र सभी राज्यों (केंद्र शासित प्रदेशों, गोवा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर) के मुख्य सचिवों को भेजा गया है। इस पत्र में "योग्य और इच्छुक भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों के नामांकन 20 दिसंबर तक भेजने" के लिए कहा गया है। पत्र में बताया गया है कि संयुक्त सचिव (सुरक्षा) पद पर प्रतिनियुक्ति के आधार पर भर्ती होगी।
किस आधार पर होगी प्रतिनियुक्ति?
पत्र में बताया गया है कि यह प्रतिनियुक्ति IPS के उन अधिकारियों के बीच से होगी, जो केंद्रीय स्तर पर पुलिस महानिरीक्षक (IG) स्तर का पद संभालने की योगयता रखते हैं। संयुक्त सचिव (सुरक्षा) पद का वेतनमान लेवल 14 में आता है।
नवंबर में खाली हुआ था पद
बता दें कि यह पद डेढ़ महीने से खाली पड़ा है। इस पद पर पहले उत्तर प्रदेश कैडर के 1997 बैच के अधिकारी रघुबीर लाल तैनात थे, जिन्हें नवंबर की शुरुआत में उनके गृह राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस तबादले के बाद से निदेशक स्तर के एक अधिकारी अस्थायी तौर पर संयुक्त सचिव (सुरक्षा) पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। सरकार पर इस पद पर प्रतिनियुक्ति में देरी किये जाने पर सवाल उठ रहे थे।
संसद की सुरक्षा के लिए जवाबदेह होगा तैनात अधिकारी
दरअसल, संयुक्त सचिव (सुरक्षा) पद पर तैनात अधिकारी ही एक तरह से नए संसद भवन की सुरक्षा का प्रभारी होगा। जब संसद की सुरक्षा में चूक हुई थी, तब यह पद खाली था, इसलिए किसी की जवाबदेही तय नहीं हो सकी थी।
संसद की सुरक्षा में चूक का क्या है मामला?
13 दिसंबर को शीतकालीन सत्र में शून्य काल के दौरान 2 युवक अचानक से दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए थे और बेंचों पर कूदते हुए गैस कनस्तर से पीले रंग की गैस उड़ा दी। सांसदों ने मिलकर दोनों को पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया। संसद के बाहर भी एक महिला और युवक पीले रंग का धुआं उड़ाते गिरफ्तार किए गए। UAPA के तहत दर्ज मामले में अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तारी हो चुकी है।
मामले में सरकार पर उठ रहे सवाल
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का दावा था कि नए संसद भवन में सुरक्षा व्यवस्था अधिक सख्त है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कैसे लोकसभा में घुसने वाले आरोपी अपने जूतों में गैस कनस्तरों को छिपाकर 5 सुरक्षा स्तरों से बचने में कामयाब रहे। दूसरा बड़ा सवाल विजिटर पास जारी करने की प्रक्रिया और आवेदकों की पृष्ठभूमि की जांच है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।