
जम्मू-कश्मीर: प्राचीन मंदिर-स्मारक पर करोड़ों खर्च करेगी सरकार, बंद पड़े मंदिरों को भी खोलने की तैयारी
क्या है खबर?
केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के प्राचीन धार्मिक स्मारकों और मंदिरों के विकास के लिए 84 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी के एक शीर्ष नेता ने जानकारी दी कि सरकार उधमपुर जिले में स्थित सुध महादेव और मानतलाई मंदिरों के विकास पर ये पैसे खर्च करेगी।
बता दें कि इससे पहले ये भी खबर आई थी कि सरकार कश्मीर में बंद पड़े 50,000 मंदिरों को खोलने की तैयारी में है और उनका सर्वे शुरू कर दिया है।
बयान
भाजपा के जम्मू-कश्मीर प्रभारी बोले, योजना से मिलेगी स्थानीय अर्थव्यवस्था को मदद
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने शनिवार को ये जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने मानतलाई-सुध महादेव-पत्नीटॉप में एकीकृत पर्यटक स्थलों के विकास की मंजूरी दी है।
उन्होंने आगे कहा, "चूंकि मानतलाई और सुध महादेव में प्राचीन धार्मिक स्मारकों और मंदिरों का खजाना है, वो धार्मिक तीर्थयात्रियों को भी बेहद आकर्षित करेंगे।"
खन्ना ने कहा कि इस योजना से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मदद मिलेगी।
बयान
मानतलाई के विकास पर खर्च होंगे अधिकांश पैसे
खन्ना ने बताया कि 84 करोड़ रुपये में से 82.16 करोड़ मानतलाई में सुंदरीकरण, पर्यटक सुविधा केंद्र, सुरक्षा बाड़ और खुली रंगभूमि आदि के निर्माण पर खर्च होंगे। वहीं 1.97 करोड़ रुपये से सुध महादेव में सुंदरीकरण, कैफेटेरिया और प्रतीक्षा स्थल आदि बनाए जाएंगे।
धार्मिक स्थल
क्या खास है सुध महादेव और मानतलाई में?
जम्मू से 112 किलोमीटर दूर सुध महादेव में एक प्राचीन शिव मंदिर है। माना जाता है कि ये मंदिर लगभग 3,000 साल पुराना है।
इसमें काले संगमरमर से बनी भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां और उनके साथ एक त्रिशूल है।
यहां भूमिगत धारा 'देवक' बहती है और कुछ दूर पत्थरों में जाकर गायब हो जाती है।
सुध महादेव से पांच किलोमीटर दूर मानतलाई है जिसे उनकी जन्मस्थली और भगवान शिव से उनके विवाह का स्थल माना जाता है।
अन्य फैसला
कश्मीर में बंद पड़े मंदिरों को भी खोलने जा रही है सरकार
बता दें कि इससे पहले पिछले महीने खबर आई थी कि केंद्र सरकार कश्मीर में बंद पड़े 50,000 मंदिरों को खोलने की तैयारी में है और उनका सर्वे करा रही है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जे किशन रेड़्डी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया था, "पिछले कई सालों में लगभग 50,000 मंदिर बंद किए गए थे, जिनमें से कुछ को क्षतिग्रस्त किया गया और उनकी मूर्तियों को खंडित किया गया। हमने ऐसे मंदिरों का सर्वे करने का आदेश दिया है।"
कश्मीरी पंडित पलायन
कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद बंद हो गए थे ये मंदिर
इनमें से अधिकांश मंदिर 1990 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद के उभार के समय बंद हुए थे।
तब कुछ आतंकी संगठनों ने कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर जाने को कहा था।
ये आतंकी लाउडस्पीकरों पर भड़काऊ भाषण देते हुए कश्मीरी मुस्लिमों को उकसाते थे और पंडितों को कश्मीर छोड़ने की धमकी देते थे।
कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद इन मंदिरों का रखरखाव मुश्किल हो गया और ये बंद हो गए।