कश्मीर में बंद पड़े 50,000 मंदिरों को खोलने की तैयारी में केंद्र सरकार, शुरू किया सर्वे
क्या है खबर?
केंद्र सरकार कश्मीर में बंद पड़े स्कूलों और 50,000 मंदिरों को खोलने की तैयारी कर रही है।
सरकार इसके लिए सर्वे करा रही है और जल्द ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जे किशन रेड़्डी ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए ये जानकारी दी।
बता दें कि इनमें से अधिकांश मंदिर 1990 के दशक में आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बाहर निकालने के बाद बंद हुए थे।
बयान
बंद पड़े स्कूलों को भी खोला जाएगा
बेंगलुरू में मीडिया से बात करते हुए गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने सरकार की इस योजना के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, "हमने कश्मीर में बंद पड़े स्कूलों की संख्या पता लगाने के लिए समिति बनाई है और उन्हें दोबारा खोला जाएगा। कई सालों में लगभग 50,000 मंदिर भी बंद किए गए थे, जिनमें से कुछ को क्षतिग्रस्त किया गया और मूर्तियों को खंडित किया गया। हमने ऐसे मंदिरों का सर्वे करने का आदेश दिया है।"
कश्मीरी पंडित
क्या है कश्मीरी पंडितों के पलायन का पूरा मामला?
बता दें कि 1987 में चुनावों में धांधली के बाद कश्मीर में आतंकवाद का उभार हुआ था।
इस दौरान कुछ आतंकी संगठनों ने कश्मीरी पंडितों को धमकी देते हुए उनसे कश्मीर छोड़कर जाने को कहा।
19 जनवरी, 1990 की रात को आतंकवादियों ने लाउडस्पीकरों पर भड़काऊ भाषण देते हुए कश्मीरी मुस्लिमों को उकसाया और पंडितों को कश्मीर छोड़ने की धमकी दी।
इस रात से कश्मीर से पंडितों के पलायन का दौर शुरू हुआ।
त्रासदी
एक लाख से ऊपर कश्मीरियों को छोड़ना पड़ा था अपना घर
1990 के दशक में अपनी जान बचाने के लिए कश्मीर छोड़ने वाले कश्मीर पंडितों की संख्या एक लाख के करीब बताई जाती है।
कुछ रिपोर्ट्स में घर छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों की संख्या 1,50,000 से 1,90,000 बताई जाती है।
वहीं जम्मू-कश्मीर सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1989 में आतंकवाद की शुरूआत के बाद से 2004 तक कश्मीर में 219 कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई।
कश्मीर विवाद में कश्मीरी पंडितों की इस त्रासदी पर बेहद कम चर्चा होती है।
राजनीति
कश्मीरी पंडितों को वापस बसाना भाजपा का बड़ा मुद्दा
अनुच्छेद 370 की तरह कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में बसाना सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी का एक पुराना वादा रहा है।
अनुच्छेद 370 पर तो भाजपा सरकार ने अपने वादा पूरा कर दिया है, लेकिन कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने पर मामल थोड़ा पेचीदा है।
आश्वासन देते हुए सरकार की ओर से इस मुद्दे पर बयानबाजी तो खूब हुई है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई खास तरक्की नहीं हुई।
समस्या
कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने में सुरक्षा एक बड़ा मसला
कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में बसाने में सबसे बड़ी समस्या उनकी सुरक्षा है।
उन्हें बसाने के बाद उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार की होगी और इसके लिए अलग कॉलोनी बनाने की बात भी सामने आई थी। लेकिन इसका खुद कश्मीरी पंडितों के कई संगठनों ने यह कहकर विरोध किया कि इससे समुदाय को निशाना बनाना आसान हो जाएगा।
दिल्ली जैसी अच्छी जगहों पर बस चुके कई कश्मीरी पंडित खुद वापस घाटी में बसने के प्रति अनिच्छुक हैं।