ब्रिटेन की मांग- जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की हो जांच
क्या है खबर?
ब्रिटेन ने जम्मू-कश्मीर में लग रहे मानवाधिकारों के हनन के आरोपों की 'गहन, तुरंत और पारदर्शी' जांच करवाने की मांग की है।
बता दें कि अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था। इसके बाद राज्य में कड़े सुरक्षा प्रतिबंध जारी है।
पाकिस्तान और कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने ऐसे आरोप लगाए थे कि राज्य में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है, जबकि भारत सरकार ने इससे इनकार किया है।
जानकारी
भारतीय विदेश मंत्री के साथ बातचीत में उठाया मुद्दा
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने हाउस ऑफ कॉमन्स मे सांसदों को बताया कि उन्होंने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ हुई बातचीत में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था और ब्रिटेन कश्मीर में स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
बयान
मानवाधिकार हनन के मामलों की हो जांच
राब ने कहा, "भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत के दौरान मैंने जम्मू-कश्मीर में हिरासत, कथित दुर्व्यवहार और संचार पर लगी रोक से जुड़े मामलों को उठाया।
भारत सरकार ने यह साफ किया है कि ये प्रतिबंध अस्थायी हैं और इनकी जरूरत भी है।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के हनन के मामले चिंता पैदा करने वाले हैं। ऐसे सभी मामलों की तुरंत, पारदर्शी और गहन तरीके से जांच होनी चाहिए।
बयान
मानवाधिकार हनन अंतरराष्ट्रीय मुद्दा- राब
राब ने ब्रिटेन के जम्मू-कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा मानने के रूख को दोहराते हुए कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मुद्दा है, लेकिन लेकिन मानवाधिकारों से जुड़ी चिंताएं इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना रही हैं।
कश्मीरी समुदाय की बहुलता वाले क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद स्टीव बेकर के सवाल के जवाब में राब ने कहा कि मानवाधिकारों के मुद्दे भारत-पाकिस्तान के आपसी मुद्दे नहीं है। यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है।
जानकारी
5 अगस्त से जम्मू-कश्मीर में जारी है पाबंदियां
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद से ही राज्य में फोन, इंटरनेट और टीवी सेवाओं पर रोक समेत कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं। कई पाबंदियों को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है, लेकिन इंटरनेट पर रोक बरकरार है।
प्रतिक्रिया
इंटरनेट पर रोक को विदेश मंत्री जयशंकर का समर्थन
जम्मू-कश्मीर में फोन और इंटरनेट सेवाओं पर लगी रोक पर अपनी राय व्यक्त करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इनका समर्थन किया है।
जयशंकर ने कहा कि आतंकवादियों के बीच संपर्क को रोकने के लिए ये जरूरी था।
उन्होंने कहा कि ऐसा संभव नहीं कि आतंकवादियों का इंटरनेट बंद कर दिया जाए और आम लोगों को इंटरनेट चलता रहे।
हालांकि, जयशंकर ने जल्द ही ये पाबंदियां हटने की उम्मीद जताई।
बयान
जयशंकर को भरोसा, जल्दा हटाई जाएंगी पाबंदियां
जयशंकर ने एक इंटरव्यू में इस बात का भरोसा जताया कि जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों को आने वाले दिनों में हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसमें इलाके में तैनात किए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को हटाकर जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों को तैनात करना भी शामिल है।
जयशंकर ने कहा कि सच कहूं तो सुरक्षा बलों के पास करने के लिए और भी बहुत से काम हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में लगभग 50,000 अतिरिक्त अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं।