बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: कोर्ट ने घटना को पूर्व नियोजित नहीं माना, सभी आरोपी बरी

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में CBI की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने अपने फैसले में इस घटना को पूर्व नियोजित नहीं माना। जज ने फैसला पढ़ते हुए शुरुआती टिप्पणी की कि यह घटना अचानक हुई थी। यह पूर्व नियोजित नहीं थी और भीड़ को रोकने का प्रयास भी किया गया था। इसके साथ ही अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।
6 दिसंबर, 1992 को बाबरी विध्वंस पर 28 साल बाद फैसला आया है। CBI की विशेष अदालत ने इस मामले में 1 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी और अगले दिन से फैसला लिखना शुरू किया गया था। दूसरी तरफ यह फैसला सुनाते ही विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव रिटायर हो जाएंगे। उन्हें इस मामले में सुनवाई के लिए उन्हें एक साल का कार्यविस्तार दिया गया था। आज उनका आखिरी कार्यदिवस है।
फैसला सुनाने के वक्त विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा अदालत में मौजूद थे। वहीं लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी अदालत में मौजूद नहीं थे। इन सभी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये फैसला सुना था। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत परिसर के बाहर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। हर आने-जाने वाले की तलाशी ली जा रही है और चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में आडवाणी, जोशी और भारती के अलावा पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा, साक्षी महाराज और कल्याण सिंह समेत कुल 32 आरोपी थे। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अशोक सिंघल समेत आरोपियों में शामिल तीन बड़े नामों का निधन हो चुका है। मामले में रायबरेली और लखनऊ में दो अलग-अलग मामले चल रहे थे, जिन्हें 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की विशेष CBI अदालत के पास शिफ्ट कर दिया था।
मामले में पहली दो FIR अयोध्या में दर्ज की गईं। पहली FIR में अनाम कारसेवकों के नाम और दूसरी में लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत मौके पर मौजूद रहे तमाम बड़े नेताओं के नाम दर्ज किए गए। बाद में 45 FIR और दर्ज की गईं। 28 जुलाई, 2005 को आडवाणी, जोशी और भारती के अलावा पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा, साक्षी महाराज और कल्याण सिंह समेत कुल 32 आरोपियों पर आरोप तय किए गए।
Lucknow: Security tighetened around Special CBI court. The court will pronounce its verdict today, in Babri Masjid demolition case. pic.twitter.com/ArCv47NDsB
— ANI UP (@ANINewsUP) September 30, 2020
मामले में रायबरेली और लखनऊ में दो अलग-अलग मामले चल रहे थे, लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मामलों को लखनऊ की स्पेशल CBI कोर्ट के पास शिफ्ट कर दिया और तभी से यह कोर्ट सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई कर रही है।
28 साल पुराने इस मामले में CBI आरोपियों के खिलाफ 351 गवाह और लगभग 600 दस्तावेज पेश कर चुकी है। आरोपियों में शामिल 92 वर्षीय आडवाणी ने 24 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के सामने मामले में अपना बयान दर्ज कराया था। वहीं मुरली मनोहर जोशी ने इससे एक दिन अपने बयान दर्ज कराया था। दोनों ही नेताओं ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया था।
मामले में सुप्रीम कोर्ट कई बार CBI कोर्ट को फैसला सुनाने की डेडलाइन दे चुकी है, लेकिन हर बार इस डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने सबसे पहले अप्रैल, 2017 में CBI कोर्ट को दो साल के अंदर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। इसके बाद जुलाई, 2019 में इस डेडलाइन को नौ महीने बढ़ाकर अप्रैल, 2020 और फिर अप्रैल से 31 अगस्त कर दिया गया। अब इस डेडलाइन के भी एक महीने बाद फैसला आएगा।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है जिसमें पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया था। वहीं उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने को कहा था। प्रधानमंत्री 5 अगस्त को मंदिर की नींव भी रख चुके हैं।