बायोलॉजिकल ई की 'कोर्बेवैक्स' वैक्सीन को मिली बूस्टर खुराक के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के फिर से बढ़ते मामलों के बीच बड़ी राहत की खबर आई है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने शनिवार को हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई द्वारा 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए तैयार की गई 'कोर्बेवैक्स' (CORBEVAX) बूस्टर खुराक को इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसके साथ अब देश को कोरोना महामारी से बचाव के लिए बूस्टर खुराक के रूप में एक और विकल्प मिल गया है।
क्या है 'कोर्बेवैक्स' बूस्टर खुराक की खासियत?
'कोर्बेवैक्स' की खास बात यह है कि DCGI ने गैर संबंधित बूस्टर खुराक के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी दी है। यानी इस वैक्सीन को कोविशील्ड या कोवैक्सिन की दोनों खुराक लगवा चुके लोग भी बूस्टर खुराक के रूप में लगवा सकेंगे। इसके साथ ही बूस्टर खुराक के रूप में इस तरह की मंजूरी हासिल करने वाली यह देश की पहली वैक्सीन बन गई है। इस बूस्टर वैक्सीन को दूसरी खुराक लगने के छह महीने बाद ही लगवाया जा सकेगा।
अब तक कैसे लगाई जा रही थी बूस्टर खुराक?
देश में अब तक लोगों को बूस्टर खुराक के रूप में वही वैक्सीन लगाई जा रही थी, जिसकी उन्होंने पहले दो खुराकें ली थी। इसके अलावा सरकार ने वैक्सीन की दूसरी खुराक के नौ महीने बाद ही बूस्टर खुराक लगाने का निर्णय किया था।
वैक्सीनेशन की यात्रा में पार किया मील का पत्थर- दतला
बायोलॉजिकल ई की प्रबंध निदेशक (MD) महिमा दतला ने कहा, "हम इस मंजूरी से बहुत खुश हैं, जो भारत में कोविड -19 बूस्टर खुराक की आवश्यकता को पूरा करेगी। हमने अपनी कोविड-19 वैक्सीनेशन यात्रा में एक और मील का पत्थर पार कर लिया है। यह मंजूरी एक बार फिर से विश्व स्तरीय सुरक्षा मानकों और कॉर्बेवैक्स की उच्च प्रतिरक्षण क्षमता को दर्शाती है।" उन्होंने कहा, "इस मंजूरी से लोगों को बूस्टर खुराक का विकल्प मिलेगा।"
कंपनी ने 416 वॉलेंटियरों पर किया था बूस्टर खुराक का ट्रायल
बता दें कि कंपनी ने अपनी बूस्टर खुराक के प्रभाव की जांच के लिए पिछले महीनों में 18 से 80 साल के 416 वॉलेंटियरों पर क्लिनिकल ट्रायल किया था। इसमें सामने आया था कि वैक्सीन सुरक्षित होने के साथ इम्यूनिटी बढ़ाने में कामयाब रही है। इसके बाद कंपनी ने पिछले महीने DGCI को ट्रायल का विस्तृत डाटा सौंपा था। इसके बाद सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने इस पर चर्चा करने के बाद इसे मंजूरी देने की सिफारिश की थी।
'कोर्बेवैक्स' को अप्रैल में मिली थी 5-12 साल के बच्चों में इस्तेमाल की मंजूरी
DCGI ने कोर्बेवैक्स को अप्रैल के अंत में 5 से 12 साल के बच्चों में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। उससे पहले इसका उपयोग 12-18 साल तक के बच्चों में किया जा रहा था। कंपनी ने मई में निजी वैक्सीनेशन केंद्रों पर वैक्सीन की कीमत को 840 रुपये प्रति खुराक से घटाकर 250 रुपये कर दिया था। बता दें कि देश में कोर्बेवैक्स का इस्तेमाल मार्च में 12-18 साल तक के बच्चों के वैक्सीनेशन के साथ शुरु हुआ था।
भारत में अब तक लग चुकी है कोर्बेवैक्स की पांच करोड़ से अधिक खुराक
बायोलॉजिकल ई की ओर से कहा कहा गया है कि देश में अब तक बच्चों को कॉर्बेवैक्स की 51.7 मिलियन यानी पांच करोड़ से अधिक खुराकें लगाई जा चुकी है। इसमें से 17.4 मिलियन 1.7 करोड़ बच्चों को कॉर्बेवैक्स की दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं। बता दें कंपनी की ओर से केंद्र सरकार को अब तक वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकों की आपूर्ति की है और अन्य खुराकों की आपूर्ति के लिए उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा रहा है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
बता दें बायोलॉजिकल ई द्वारा तैयार 'कोर्बेवैक्स' एक RBD प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। यह कोरोना महामारी फैलाने वाले वायरस SARS-CoV-2 के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) के डिमेरिक फॉर्म का ऐंटीजन के तौर पर इस्तेमाल करती है। वायरस के खिलाफ इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए इसमें CpG 1018 नामक एडजुवेंट भी मिलाया गया है। वैक्सीन ने सभी चरण के ट्रायल में उत्साहजनक नतीजे दिए थे। इसी तरह सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने भी कंपनी को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है।