कोरोना संक्रमण से ठीक होने के तीन महीने बाद लगेगी वैक्सीन की खुराक- केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों को ठीक होने के तीन महीने बाद ही वैक्सीन की खुराक लगाई जाएगी। इसमें प्रिकॉशन डोज भी शामिल है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विकास शील ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर कहा है कि जिन लोगों में लैब की जांच के बाद संक्रमण की पुष्टि हुई है, अब उन्हें ठीक होने के तीन महीने बाद वैक्सीन की खुराक दी जाएगी।
वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित है सुझाव- शील
शील ने अपने पत्र में लिखा कि कई तबकों की तरफ से किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद उसे प्रिकॉशन डोज देने के दिशानिर्देशों के बारे में पूछा जा रहा था। यह सुझाव नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) की सिफारिशों और वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित है। गौरतलब है कि देश में 10 जनवरी से स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन कर्मचारियों और 60 साल से अधिक उम्र के बीमार बुजुर्गो को प्रिकॉशन डोज दी जा रही है।
स्वस्थ पात्र लोगों को नौ महीने बाद लग रही प्रिकॉशन डोज
अभी प्रिकॉशन डोज के पात्र लोगों को दूसरी खुराक लेने के नौ महीने पूरे होने के बाद तीसरी खुराक दी जा रही है। सरकार का कहना है कि दूसरी और तीसरी खुराक के बीच कम से कम 39 सप्ताह का अंतराल होना जरूरी है।
छह महीने बाद कम होने लगता है इम्युनिटी का स्तर- अध्ययन
केंद्र सरकार ने दूसरी और तीसरी खुराक के बीच नौ महीने का अंतराल रखा है, लेकिन एक अध्ययन में सामने आया था कि 30 प्रतिशत लोगों में वैक्सीनेशन के छह महीने बाद इम्युनिटी का स्तर कम हो जाता है। हैदराबाद के AIG अस्पताल ने कोरोना वैक्सीनों से मिलने वाली इम्यूनिटी की अवधि और तीसरी खुराक की आवश्यकता वाले लोगों की पहचान करने के लिए एशियन हेल्थकेयर फाउंडेशन के साथ अध्ययन किया था।
30 प्रतिशत लोगों में कम हुई इम्युनिटी
AIG अस्पताल के चेयरमैन डॉ डी नागेश्वर रेड्डी ने कहा, "अध्ययन में शामिल 1,636 स्वास्थ्यकर्मियों की IgG एंटी-S1 और IgG एंटी-S2 एंटीबॉडी को SARS-CoV-2 से मापा गया था। इसमें सामने आया कि वैक्सीनेशन के बाद उनमें से 30 प्रतिशत की इम्यूनिटी का स्तर 100 AU/ml के सुरक्षात्मक स्तर से कम हो गया।" अध्ययन में यह भी पता चला कि 6 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों में वैक्सीन के बाद भी इम्युनिटी पैदा नहीं हुई थी।
"युवाओं में अधिक रहता है एंटीबॉडी का स्तर"
डॉ रेड्डी ने कहा, "अध्ययन के परिणाम से स्पष्ट है कि बुजुर्गों की तुलना में युवाओं में एंटीबॉडी का स्तर अधिक होता है। इसी तरह उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों से भी ग्रसित 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में वैक्सीनेशन के छह महीने बाद भी इम्यूनिटी का स्तर काफी कम हो जाता है।" उन्होंने कहा, "अध्ययन के अनुसार उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को तीसरी खुराक में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।"