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    असम: मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं 95 प्रतिशत युवा- UNICEF अध्ययन

    असम: मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं 95 प्रतिशत युवा- UNICEF अध्ययन
    लेखन भारत शर्मा
    Nov 22, 2022, 04:58 pm 1 मिनट में पढ़ें
    असम: मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं 95 प्रतिशत युवा- UNICEF अध्ययन
    असम के 95 प्रतिशत युवा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं

    असम के 95 प्रतिशत युवा वर्तमान में साइबर बुलिंग (ऑनलाइन धमकियां) और शारीरिक दंड के कारण पैदा हुई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (UNICEF) और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) द्वारा राज्यभर में किए गए एक सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बता दें कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार असम की कुल आबादी 3.1 करोड़ है और इसमें से 19 प्रतिशत आबादी 15-24 वर्ष के युवाओं की है।

    जुलाई में की गई थी सर्वे की शुरुआत

    UNICEF और NSS की ओर से जुलाई में असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (ASCPCR) के 'सुरक्षा' नामक अभियान का समर्थन करने के लिए U-रिपोर्ट सर्वे आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों के खिलाफ हिंसा के रूपों और निवारण तंत्र पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है। U-रिपोर्ट UNICEF द्वारा बनाया गया एक सामाजिक मंच है, जो SMS, फेसबुक और ट्विटर पर उपलब्ध है और इस पर युवा अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं।

    मानसिक स्वास्थ्य की परेशानियों से सामाजिक संबंधों पर पड़ा बुरा असर

    रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल 60 प्रतिशत युवाओं ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझने के कारण उनके सामाजिक संबंधों पर बुरा असर पड़ा है। इसी तरह 24 प्रतिशत युवाओं ने तनाव, चिंता और डर में बढ़ोतरी होने तथा 17 प्रतिशत ने शारीरिक नुकसान होने की बात कही है। यह सर्वे राज्य के 24 विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में आयोजित किया गया था। इसमें इन संस्थानों में पढ़ने वाले 9,500 से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया था।

    ऑनलाइन धमकी का शिकार हुए 50 प्रतिशत युवा

    रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल युवाओं में से 50 प्रतिशत ने ऑनलाइन धमकी मिलने की बात कही है। इनमें से 50 प्रतिशत ने अनजान लोगों द्वारा, 12 प्रतिशत ने अपने सहपाठी द्वारा और 14 प्रतिशत ने किसी मित्र के द्वारा धमकी देने की बात कही है। इसी तरह 36 प्रतिशत युवाओं ने फेसबुक के जरिए और 25 प्रतिशत ने इंस्टाग्राम पर ऑलाइन धमकी मिलने की बात कही है। इन धमकियों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है।

    35 प्रतिशत युवाओं को मिला है शारीरिक दंड

    रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल 35 प्रतिशत युवाओं ने शारीरिक दंड के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने की बात कही है। इनमें से 30 प्रतिशत को घर, 25 प्रतिशत को स्कूल और 14 प्रतिशत को निजी ट्यूशन तथा खेल के मैदान पर शारीरिक दंड मिला है। इसके अलावा 26 प्रतिशत के साथ तीनों जगहों पर ऐसा हुआ है। शारीरिक दंड में 67 प्रतिशत को थप्पड़ और 16 प्रतिशत ने अभद्रता का सामना करना पड़ा है।

    हाल के सालों में आम हुई ऑनलाइन धमकियां- हजारिका

    गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के क्लिनिकल मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर मैथिली हजारिका ने कहा कि हाल के सालों में ऑनलाइन धमकियां आम हो गई है। डिजिटल क्षेत्र में युवाओं की उपस्थिति काफी बढ़ गई है। कुछ मामलों में आत्महत्या से मौत हुई है। उन्होंने कहा कि सामाजिक अलगाव, शक्तिहीनता की भावना, चिंता, अवसाद और अकेलापन आम परेशानियां हैं। यह युवाओं को मनोवैज्ञानिक मुद्दों की ओर धमेलती है।

    "शारीरिक दंड से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है स्थायी प्रभाव"

    सामाजिक कार्यकर्ता और काउंसलर अर्चना बोरठाकुर ने PTI से कहा, "साइबरस्पेस में ट्रोलिंग के साथ-साथ शारीरिक दंड का युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव हो सकता है। उन्हें तत्काल पुलिस और काउंसलर के पास जाकर कानूनी मदद लेनी चाहिए।"

    असम सरकार के साथ काम कर रहा है UNICEF- जोनाथन

    UNICEF असम की प्रमुख मधुलिका जोनाथन ने कहा, "असम सरकार की युवाओं के विकास और इसके लिए अनुकूल माहौल बनाने की प्रेरणा को देखते हुए UNICEF असम सरकार के साथ काम कर रहा है। विशेष रूप से सबसे कमजोर समुदायों के युवाओं के हित के लिए।" उन्होंने कहा, "2020-21 में NSS निदेशालय और UNICEF असम ने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में बाल संरक्षण के मुद्दे पर काम के लिए हाथ मिलाया था।"

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