असम: जिग्नेश मेवाणी को महिला सिपाही के साथ मारपीट के मामले में भी जमानत मिली
गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को असम पुलिस की महिला सिपाही के साथ मारपीट और छेड़छाड़ के मामले में भी जमानत मिल गई है। उन्हें इस मामले में 25 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट से संबंधित मामले में जमानत मिलने के तुरंत बाद उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। मेवाणी के पक्ष ने इसे बदले की राजनीति बताया था और भाजपा पर निशाना साधा था।
क्या है पूरा मामला?
25 अप्रैल को कोकराझार की एक कोर्ट ने जिग्नेश मेवाणी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट से संबंधित केस में जमानत दी थी। लेकिन जमानत मिलने के तुरंत बाद बारपेटा जिले की पुलिस ने महिला सिपाही के साथ मारपीट और छेड़छाड़ के आरोप में मेवाणी को फिर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस मेवाणी को कोकराझार से बारपेटा ले गई थी और तब से वो यहीं के थाने में बंद थे।
पुलिस ने क्या आरोप लगाए थे?
असम पुलिस ने आरोप लगाया था कि जब पुलिस की टीम मेवाणी को कोकराझार लाने के लिए बारपेटा जिले से गुजर रही थी, तभी उन्होंने महिला सिपाही को गाली दी, उसकी तरफ अभद्र इशारे किए और उसे कार की सीट पर धकेल दिया। मामले में 21 अप्रैल को बारपेटा थाने में केस दर्ज किया गया था और 25 अप्रैल को प्रधानमंत्री से संबंधित मामले में जमानत मिलने के तुरंत बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
मेवाणी के वकील ने उठाए थे दोबारा गिरफ्तारी पर सवाल
मेवाणी के वकील अंगशुमन बोरा ने PTI के साथ बातचीत में मेवाणी पर लगे नए आरोपों पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा कि तीन दिन की पुलिस कस्टडी के दौरान इस मामले का जिक्र तक नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "हम बेहद हैरान हैं। जब वो तीन दिन के लिए पुलिस कस्टडी में थे, तब सिपाही से मारपीट के मामले की फुसफुसाहट तक नहीं थी। जब उन्हें जमानत मिली तो अचानक से उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।"
20 अप्रैल को पहली बार गिरफ्तार किए गए थे मेवाणी
वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी को पहली बार 20 अप्रैल को असम पुलिस ने गुजरात के पालनपुर से गिरफ्तार किया था। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया था। असम के एक स्थानीय भाजपा नेता अरूप कुमार देव की शिकायत के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा था कि मेवाणी के ट्वीट एक समुदाय को भड़काते हैं। मेवाणी पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने समेत कई धाराएं लगाई गई हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
दलित नेता और राष्ट्रीय दलित अधिकार मोर्चा के संयोजक मेवाणी निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन पिछले साल उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दे दिया था। उन्होंने पिछले साल सितंबर में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र संघ प्रमुख कन्हैया कुमार और राहुल गांधी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कन्हैया इसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन तकनीकी कारणों से मेवाणी पार्टी की सदस्यता नहीं ले पाए थे।