सोशल मीडिया कंपनियों से जुड़े नियमों में भारत सरकार ने किया बदलाव, यह है वजह
भारत ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नए नियम लागू किए गए हैं, जिन्हें पिछले सप्ताह लागू किए जाने के बाद वापस ले लिया गया था। सरकार ने इन नियमों में कोई बदलाव नहीं किया है, बल्कि इनकी जरूरत पर जोर दिया है। नए नियमों को लेकर कहा गया है कि भारतीय नागरिकों के हितों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए ये नियम जरूरी हैं। नए नियम सोशल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट मॉडरेशन से जुड़े हैं।
पिछले सप्ताह आया था नियमों का ड्राफ्ट
पिछले सप्ताह भारत के IT कानून में किए गए बदलावों का ड्राफ्ट शेयर किया गया था। इन बदलावों में कहा गया था कि कंपनियों को 'भारत के संविधान के तहत नागरिकों को मिलने वाले अधिकारों का सम्मान' करना होगा। नए नियमों के साथ सरकार एक पैनल सेटअप करने जा रही है, जिसके साथ कंपनियों के कंटेंट मॉडरेशन से जुड़े फैसलों वाली अपील पर सुनवाई की जाएगी। हालांकि, इस ड्राफ्ट को फाइनल नहीं किया गया था और टाल दिया गया था।
दोबारा रिलीज किया गया नियमों का ड्राफ्ट
भारत सरकार ने सोमवार को नए नियमों का ड्राफ्ट एकबार फिर रिलीज किया है। इन नियमों पर आम लोगों की प्रतिक्रिया अगले 30 दिनों के अंदर मांगी गई है, जिसके आधार पर इन्हें फाइनल करने का फैसला किया जाएगा। हालांकि, पहली बार सरकार की ओर से IT कानून में बदलावों की वजह बताई गई है। सरकार ने कहा, "कई टेक्नोलॉजी कंपनियां भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती रही हैं।"
सरकार और कंपनियों के बीच तनाव की स्थिति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने बड़ी टेक कंपनियों के लिए नियम कड़े किए हैं। बीते एक साल में फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर जैसी कंपनियों को भारत के कानून का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा गया है। पिछले साल सरकार और ट्विटर के बीच तनाव की स्थिति देखने को मिली, जब ट्विटर ने सरकार के निर्देश मानने से इनकार कर दिया। सरकार ने आरोप लगाया कि ट्विटर जानबूझकर किसान आंदोलन से जुड़ी अफवाहें फैला रही है।
सोशल प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही तय करना चाहती है सरकार
सरकार की कोशिश है कि सोशल मीडिया कंपनियों उनके प्लेटफॉर्म पर शेयर किए जा रहे कंटेंट के लिए जिम्मेदारी तय करें। नियमों में कहा गया है कि सभी यूजर्स को प्राइवेसी और पारदर्शिता के साथ प्लेटफॉर्म्स का ऐक्सेस मिलना चाहिए। सरकार चाहती है कि अकाउंट ब्लॉक करने या पोस्ट हटाए जाने जैसी स्थितियों में यूजर को सफाई देने का मौका मिले, साथ ही उसे ऐसा किए जाने की वजह साफ बताई जाए।
कुछ मामलों में तुरंत कार्रवाई जरूरी
अप्रैल महीने में एक कोर्ट फाइलिंग में सरकार ने कहा था कि मेटा और ट्विटर जैसी कंपनियों को भारतीय कानून के हिसाब से कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार की मानें तो कानून के हिसाब से यूजर को अकाउंट ब्लॉक होने या उसकी पोस्ट हटाए जाने से पहले बचाव का मौका मिलना चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों जैसे आतंकवाद या रेप की धमकियों को अपवाद माना गया है, जिनपर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए और इन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए।
कंपनियां अपने पास रखना चाहती हैं अधिकार
सोशल मीडिया कंपनियों ने पिछले साल भारत में IT रूल्स, 2021 से जुड़े बदलाव किए हैं। हालांकि, कंटेंट मॉडरेशन से जुड़े सभी नियमों का पालन ठीक से करने को लेकर सरकार के साथ प्लेटफॉर्म्स का टकराव देखने को मिलता रहा है। कंपनियां सरकार की ओर से किए जाने वाले कुछ बदलावों को कोर्ट में चुनौती भी दे चुकी हैं और कम्युनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन करने पर कार्रवाई का अधिकार अपने पास रखना चाहती हैं।