
बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के बाद भी लॉकडाउन में ढील क्यों दे रहा है भारत?
क्या है खबर?
भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन का चौथा चरण रविवार को खत्म हो गया। इसके साथ ही देश में संक्रमितों की संख्या 1.90 लाख के पार पहुंच गई है।
एक तरफ भारत दो महीने लंबे लॉकडाउन से बाहर निकलने की योजना बना रहा है, वहीं वह सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में सातवें पायदान पर पहुंच गया है। ऐसे में अब सरकार की आलोचना शुरू हो गई है।
हालात
लॉकडाउन की घोषणा के समय भारत में थे महज 519 संक्रमित
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में संक्रमितों की कुल संख्या 1,90,535 है और 5,394 की मौत हो चुकी है।
भारत ने 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी तो उस समय संक्रमितों की संख्या 519 थी और नौ लोगों की मौत हुई थी।
1 मई को देश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 35,365 पहुंच गई थी, लेकिन मई में जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन, यात्री ट्रेन और घरेलू उड़ानों का संचालन शुरू किया तो यह संख्या पांच गुना बढ़ गई।
तर्क
सरकार ने दिया लॉकडाउन अवधि में चिकित्सा प्रणाली को मजबूत करने का तर्क
बढ़ते मामलों के बाद भी लॉकडाउन में ढील देने को लेकर सरकार का तर्क है कि उसने लॉकडाउन की अवधि का उपयोग देश की चिकित्सा प्रणाली को मजबूत करने के लिए किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार लॉकडाउन में 930 समर्पित कोरोना अस्पतालों को 1,58,747 आइसोलेशन बेड, 20,355 ICU बेड और 69,076 ऑक्सीजन-सपोर्ट बेड की व्यवस्था की गई है।
इसके अलावा भारत ने सुरक्षात्मक गियर और जांच किट का उत्पादन भी बढ़ाया है।
विशेषज्ञ
"निश्चित रूप से लॉकडाउन खत्म करने का समय"
इन सबसे बीच चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ एन देवदासन ने BBC को बताया कि एक कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए आवश्यक चिकित्सा प्रणाली को काफी हद तक मजबूत कर लिया गया है।
संक्रामक रोगों के मॉडल पर एक प्रोफेसर और शोधकर्ता गौतम मेनन ने कहा, "निश्चित रूप से लॉकडाउन खत्म करने का समय है। आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन को आगे जारी रखना बहुत मुश्किल है।"
लॉकडाउन प्रभाव
प्रवासी मजदूरों पर पड़ी लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार
लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार प्रवासी मजदूर, दिहाड़ी मज़दूर, छोटे व्यवसायी, किसान आदि पर पड़ी है।
इसके अलावा पहले ही चरमरा रही देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से डगमगा गई है। फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की GDP अनुमान को 30 साल के सबसे निचले स्तर के लिए अनुमानित 5.1% से 2% घटा दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अप्रैल में लॉकडाउन को जल्द खत्म करने की बात कही थी।
लक्षण
"अब मिलने वाले ज्यादातर संक्रमितों में होंगे हल्के लक्षण"
डॉ देवदासन ने BBC को बताया, "मुझे संदेह है कि हम अधिक से अधिक मामलों को ढूंढते रहेंगे, लेकिन उनमे सें ज्यादातर स्पर्शोन्मुख होंगे या उनमें हल्के लक्षण होंगे। ऐसे में उन पर नजर बनाए रखना बड़ी बात होगी।"
उन्होंने कहा, "लेकिन हमने पहले पवासी मजदूरों को शहरों में रखा और उन्हें नहीं जाने दिया। अब हम उन्हें वापस अपने घर भेज रहे हैं। हमने वायरस को शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने की की सुविधा प्रदान की है।"
जानकारी
अब आया है स्थानीय लॉकडाउन का समय- डॉ मेनन
डॉ मेनन ने कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन ठीक-ठाक रहा है, लेकिन यह विदेशों से आने वाले संक्रमितों पर केंद्रित था। उन्होंने तर्क दिया कि अब "स्थानीय लॉकडाउन" का समय है। संक्रमण के मामले में भारत के जुलाई में शीर्ष पर पहुंचने की आशंका है।
संदेह
भारत के मौत के आंकड़ों पर जताया संदेह
प्रमुख वायरोलॉजिस्ट डॉ जैकब जॉन ने कहा कि भारत में अभी तक ज्यादा मौत नहीं हुई है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारत में मौत के आंकड़े एकत्र करने की प्रणाली सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार निश्चित रूप से मौत के आंकड़ों पर गौर करते हुए आगे की रणनीति तैयार कर रही है और उसके पास अन्य कोई रास्ता नहीं है।
उन्होंने भारत में जुलाई-अगस्त में संक्रमण के सबसे अधिक मामले होने की आशंका जताई है।