
कोरोना वायरस: ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के नतीजे नहीं आने की 50 प्रतिशत संभावना- प्रोजेक्ट लीडर
क्या है खबर?
कोरोना वायरस की वैक्सीन की रेस में सबसे आगे चल रही ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी की संभावित वैक्सीन के ट्रायल के सफल होने की केवल 50 प्रतिशत संभावना है।
वैक्सीन पर काम कर रहे इंस्टीट्यूट के निदेशक ने कहा है कि यूनाइटेड किंगडम (UK) में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या तेजी से नीचे गिर रही है और कम कम्युनिटी ट्रांसमिशन के कारण ट्रायल असफल भी हो सकते हैं। UK में प्रतिदिन लगभग 3,000 नए मामले मिल रहे हैं।
पृष्ठभूमि
चिम्पैंजी को सामान्य जुकाम करने वाले वायरस से तैयार हुई है वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की संभावित वैक्सीन का नाम ChAdOx1 nCoV-19 है। यूनिवर्सिटी के जेन्नर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक इस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं और वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट इसकी प्रमुख हैं।
ये वैक्सीन चिम्पैंजी में सामान्य जुकाम करने वाले एडीनोवायरस को कमजोर करके और उसके ऊपर कोरोना वायरस जैसे प्रोटीन लगाकर तैयार की गई है।
जेनेटिककली इसमें ऐसा बदलाव किया गया है कि इसके लिए इंसान के अंदर जाकर खुद की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है।
कारण
इसलिए अन्य वैक्सीन से रेस में आगे है ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन?
वैज्ञानिकों ने इस तरीके से पहले इबोला के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिश की थी और तब इस तरीके को सुरक्षित पाया गया था।
तभी से इस पर रिसर्च हो रही थी और इसी कारण अब जब इस तरीके से कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाई जा रही है तो सुरक्षा को लेकर सुनिश्चितता होने के कारण ये बाकी वैक्सीन से रेस में आगे है।
पहले चरण के ट्रायल में वैक्सीन को 1,000 लोगों में डाला जा चुका है।
अन्य चरण
वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल भी शुरू
वैक्सीन के ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण पर भी काम शुरू हो गया है और लोगों को इसके लिए रजिस्टर्ड किया जा रहा है। दूसरे और तीसरे चरण को एक साथ मिलाकर किया जाएगा और इसमें बच्चों समेत 10,260 लोगों शामिल होंगे।
इनमें से आधे लोगों को ये वैक्सीन दी जाएगी और बाकी आधे लोगों को दूसरी दवाई दी जाएगी। इन दोनों चरणों के अंतिम नतीजों से वैक्सीन किस आयु वर्ग पर कितनी कारगर है, ये पता चलेगा।
बयान
जेनर इंस्टीट्यूट के निदेशक बोले- ट्रायल के नतीजे नहीं आने की 50 प्रतिशत संभावना
इन ट्रायल के बीच जेनर इंस्टीट्यूट के निदेशक एड्रियन हिल ने कहा है कि UK में कम होते संक्रमण के कारण इसमें व्यवधान आ सकता है। ब्रिटेन के अखबार 'द टेलीग्राफ' से उन्होंने कहा कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन की कमी के कारण आने वाले ट्रायल का कोई नतीजा नहीं निकलने की संभावना है।
उन्होंने कहा, "ये वायरस के गायब होने और समय के खिलाफ एक रेस है। इस समय 50 प्रतिशत संभावना है कि हमें कोई नतीजे नहीं मिलेंगे।"
बाजार
अक्टूबर तक बाजार में आ सकती है वैक्सीन
अगर ट्रायल सफल रहते हैं और इसे कोरोना वायरस को रोकने में असरदार पाया जाता है तो ये वैक्सीन अक्टूबर तक बाजार में आ सकती है।
इसी हफ्ते अमेरिका ने वैक्सीन बनाने के लाइसेंस वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका को 1.2 अरब डॉलर का अनुदान दिया है और इसके बदले में पहली एक अरब डोज में से लगभग एक तिहाई उसे मिलेंगी।
भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने भी वैक्सीन बनाने का करार किया है जिसमें से 50 प्रतिशत भारत को मिलेंगी।
जानकारी
बंदरों पर हुए ट्रायल में संक्रमण को रोकने में कामयाब नहीं रही वैक्सीन
हालांकि बंदरों पर हुए एक ट्रायल में ऑक्सफोर्ड की ये वैक्सीन उन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने में असफल रही और सभी बंदर संक्रमित हो गए। हालांकि इनमें से किसी बंदर को निमोनिया नहीं हुआ जो कोरोना के मरीजों में होता है।