आज सिंघू बॉर्डर जाएंगे केजरीवाल, महीने में दूसरी बार प्रदर्शनकारी किसानों से करेंगे मुलाकात
क्या है खबर?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रविवार शाम एक बार फिर सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों के बीच जाएंगे।
एक महीने के भीतर यह दूसरी बार है, जब केजरीवाल कृषि कानूनों के विरोध में डटे किसानों से मिलने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इस दौरान केजरीवाल कीर्तन दरबार में भी हिस्सा लेंगे। केजरीवाल शाम लगभग छह बजे सिंघु बॉर्डर जाएंगे। उनके साथ कैबिनेट के दूसरे मंत्री भी हो सकते हैं।
किसान आंदोलन
तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं किसान
हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर समेत कई जगहों पर डटे हुए हैं।
दिल्ली पुलिस ने इन्हें बुराड़ी के मैदान में प्रदर्शन करने की इजाजत दी थी, लेकिन किसान ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए दिल्ली के बॉर्डर पर ही अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन का आज 32 वां दिन है।
मुलाकात
7 दिसंबर को भी किसानों से मिले थे केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल इससे पहले 7 दिसंबर को कैबिनेट के सदस्यों के साथ प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने पहुंचे थे।
केजरीवाल पहले मुख्यमंत्री थे, जो इन किसानों से मिले थे। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शन स्थल के आसपास दिल्ली सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया था।
मौके पर मीडिया से बात करते हुए केजरीवाल ने केंद्र सरकार से किसानों की मांगें मानने और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील की थी।
जानकारी
किसानों की मांगें जायज- केजरीवाल
केजरीवाल ने तब कहा था कि वो किसानों के बीच मुख्यमंत्री नहीं बल्कि उनके सेवादार बनकर आए हैं। उन्होंने कहा था कि किसानों की मांगें जायज हैं और वो पहले दिन से इसका समर्थन कर रहे हैं।
विरोध
केजरीवाल ने विधानसभा में फाड़ी थी कानून की कॉपी
केजरीवाल ने कृषि कानूनों का विरोध करते हुए दिल्ली विधानसभा में इनकी कॉपियां भी फाड़ी थीं।
कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। इस दौरान केजरीवाल ने तीनों कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए इनकी कॉपियां फाड़ दीं।
उन्होंने कहा इतनी क्या जल्दी थी कि संसद ने महामारी के दौरान तीन कानून पारित कर दिए । पहली बार हुआ है जब राज्यसभा में बिना वोटिंग के तीन कानून पास किए गए हैं।
विरोध की वजह
किसानों के विरोध की वजह क्या है?
केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
जानकारी
29 दिसंबर को होगी किसानों और सरकार की बातचीत
किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध का हल निकालने के लिए 29 दिसंबर को बैठक होगी। शनिवार को किसानों ने सरकार की तरफ से दिए बातचीत के न्योते को स्वीकार कर लिया है। यह छठे दौर की बातचीत होगी।