दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को हटाने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट में आज कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों को हटाने संबंधी याचिका पर सुनवाई होगी। हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों के किसान 26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं और केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कानून के छात्र रिषभ शर्मा ने इन किसानों की हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
CJI के नेतृत्व वाली बेंच करेगी सुनवाई
शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि किसानों के प्रदर्शन के कारण सड़कें बंद हैं और इस वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। उन्होंने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि भारी संख्या में लोगों के एक जगह इकट्ठा होने से कोरोना वायरस के मामले भी बढ़ सकते हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
किसानों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की मांग
शर्मा ने अपनी याचिका में आगे कहा है कि प्रदर्शनकारी किसानों को तय स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। साथ ही प्रदर्शन के दौरान संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी होना चाहिए इसके अलावा आज सुप्रीम कोर्ट में किसानों से जुड़ी एक और याचिका पर सुनवाई होनी है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों की मांग पर विचार करने के आदेश देने के अपील की गई है।
सरकार अड़ी, किसान भी झुकने को तैयार नहीं
प्रदर्शनकारी किसानों की मांग के बीच केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि वह इन तीन कानूनों में संशोधन को तैयार है, लेकिन इन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। वहीं किसानों का कहना है कि कानून रद्द न होने तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
प्रधानमंत्री बोले- किसानों को गुमराह किया जा रहा
मंगलवार को गुजरात के कच्छ में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन कानूनों को लेकर किसानों का गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि सुधारों को लेकर गुमराह किया जा रहा है। उन्हें यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि दूसरे लोग उनकी जमीन हड़प लेंगे। सरकार ने वही सुधार किए हैं, जिनकी मांग किसान संगठन और विपक्षी पार्टियां सालों से कर रही थीं।
किसान संगठनों की सरकार से अपील- आंदोलन को बदनाम न करें
वहीं किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें संशोधन मंजूर नहीं हैं और सरकार को तीनों कानून वापस लेने ही होंगे। किसानों से सरकार को पत्र लिखकर यह भी कहा है कि वह उनके आंदोलन को बदनाम न करें और अगर बात करनी है तो सभी किसानों को साथ बुलाकर करें। दूसरी तरफ किसानों ने बुधवार को अपने प्रदर्शन को तेज करते हुए दिल्ली-नोएडा हाइवे को फिर जाम कर दिया है।
क्यों प्रदर्शन कर रहे किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।