
#NewsBytesExplainer: क्या है APSSDC घोटाला, जिसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू हुए गिरफ्तार?
क्या है खबर?
आंध्र प्रदेश पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (CID) ने पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार किया है।
CID का दावा है कि नायडू ने मुख्यमंत्री रहते हुए तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेताओं के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम (APSSDC) की स्थापना में कथित तौर पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया था।
आइए जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ भ्रष्टाचार के क्या आरोप हैं।
परियोजना
क्या है APSSDC?
नायडू ने 2014 में सत्ता में आने के कुछ महीनों बाद APSSDC स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत पूरे राज्य में कौशल विकास क्लस्टर स्थापित किए जाने थे। इनका मुख्य उद्देश्य बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रदान करना था।
नायडू सरकार ने कौशल विकास केंद्र स्थापित करने के लिए सीमेंस इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
समझौते के तहत सीमेंस को कौशल विकास के लिए 6 केंद्र स्थापित करने का काम सौंपा गया था।
समझौता
समझौते में क्या था?
समझौते के अनुसार, परियोजना की कुल लागत 3,356 करोड़ रुपये थी। इसमें से राज्य सरकार को केवल 10 प्रतिशत राशि सहायता के रूप में प्रदान करनी थी, जबकि बाकी का निवेश सीमेंस द्वारा किया जाना था।
मार्च, 2021 में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि कौशल विकास निगम की स्थापना में घोटाला हुआ था।
CID ने प्रारंभिक जांच के बाद 9 दिसंबर, 2021 को FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी।
आरोप
CID ने क्या परियोजना पर क्या आरोप लगाए हैं?
CID का मुख्य आरोप यह है कि TDP सरकार ने परियोजना शुरू होने के तीन महीने के भीतर सीमेंस द्वारा एक भी रुपया निवेश किए बिना जल्दबाजी में 371 करोड़ रुपये जारी कर दिए थे।
इनमें से परियोजना पर करीब 130 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 241 करोड़ रुपये कथित तौर पर कम से कम 5 शेल कंपनियों, एलाइड कंप्यूटर्स, स्किलर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नॉलेज पोडियम, कैडेंस पार्टनर्स और ईटीए ग्रीन्स, को ट्रांसफर किए गए थे।
आरोप
CID ने और क्या कहा?
CID के मुताबिक, इन पांचों कंपनियों को कौशल केंद्रों के लिए कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और अन्य चीजें मुहैया करवानी थीं, लेकिन उन्होंने आंध्र प्रदेश सरकार को कुछ भी उपलब्ध नहीं करवाया।
आरोप है कि इन सभी कंपनियों को नकली चालान के जरिए रुपये हस्तांतरित किए गए थे, जबकि वास्तव में किसी भी वस्तु की कोई डिलीवरी नहीं की गई।
इसके अलावा किसी भी फाइल पर आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव या प्रधान वित्त सचिव द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए थे।
आरोप
नायडू पर क्या आरोप हैं?
CID ने आरोप लगाया है कि नायडू घोटाले के पीछे मुख्य साजिशकर्ता हैं, जिन्होंने शेल कंपनियों के माध्यम से निजी संस्थाओं को सार्वजनिक धन के हस्तांतरण की योजना बनाई।
CID ने कहा कि नायडू और TDP के अन्य नेताओं ने मिलकर सार्वजनिक धन को निजी संस्थाओं को हस्तांतरित कर दिया, जिसके कारण सरकारी खजाने को काफी नुकसान पहुंचा।
जांच एजेंसी के मुताबिक, नायडू ने पूरे घोटाले में सूत्रधार की भूमिका निभाई थी और उनसे पूछताछ करना जरूरी है।
मामला
अभी कहां तक पहुंची है मामले की जांच?
CID की FIR के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी पूरे मामले की जांच की थी।
ED ने इस साल मार्च में सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व MD सौम्याद्रि शेखर बोस और डिज़ाइनटेक सिस्टम्स लिमिटेड के MD विकास विनायक खानवलकर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया था।
ED ने चारों पर 241 करोड़ रुपये की हेराफेरी में कथित संलिप्तता के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया था।
बयान
CID ने नायडू को गिरफ्तार करने के बाद क्या कहा?
चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद CID के अतिरिक्त DG एन संजय ने कहा कि जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी के पास इस बात के सबूत हैं कि पैसा शेल कंपनियों में गया और फिर नायडू और उनके बेटे नारा लोकेश से जुड़े खातों में भेज दिया गया।
उन्होंने कहा, "ऐसे कई लोग हैं जो सरकारी धन के निजी खातों में अवैध हस्तांतरण में शामिल हैं। लोकेश की भूमिका की भी जांच की जाएगी।"