भारत के साथ युद्धाभ्यास पर अमेरिका बोला- चीन को इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए
उत्तराखंड के औली में भारत के साथ युद्धाभ्यास पर चीन की आपत्ति पर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत में अमेरिकी राजदूत एलिजाबेथ जोन्स ने कहा है कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है और चीन को युद्धाभ्यास से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। इससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने भी चीन को कड़े शब्दों में जवाब दिया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से करीब 100 किलोमीटर दूर यह युद्धाभ्यास 15 नवंबर से 2 दिसंबर तक चला था।
चीन ने युद्धाभ्यास पर जताई थी आपत्ति
चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा था कि LAC के पास भारत-अमेरिका के बीच चल रहा यह युद्धाभ्यास 1993 और 1996 में चीन और भारत के बीच हुए समझौतों की भावना का उल्लंघन करता है और यह युद्धाभ्यास चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय विश्वास को बनाने में मददगार नहीं है। गौरतलब है कि समझौते के तहत यह बात तय की गई थी कि दोनों देश LAC पर एक-दूसरे के खिलाफ बल या सेना का प्रयोग नहीं करेंगे।
भारत ने क्या जवाब दिया था?
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन को जवाब देते हुए कहा था कि युद्धाभ्यास का 1993 और 1996 के समझौतों के साथ कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा था कि चीन को खुद के द्वारा किए गए समझौते के उल्लंघन के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत किस देश के साथ युद्धाभ्यास करता है, उसको लेकर किसी भी तीसरे देश को वीटो करने का अधिकार नहीं है।
भारत के साथ संबंधों को लेकर चीन ने अमेरिका को दी थी धमकी- पेंटागन
बता दें कि अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया था कि चीन ने उसके और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों में दखलअंदाजी नहीं करने को लेकर अमेरिका को चेतावनी दी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारत को अमेरिका के नजदीक जाने से रोकना चाहती है जिसके लिए वह LAC पर तनाव कम करने की कोशिश कर रही है।
भारत-अमेरिका के बीच था 18वां युद्धाभ्यास
भारत और अमेरिका के बीच हुए युद्धाभ्यास का यह 18वां संस्करण था। इसमें भारतीय सेना और अमेरिकी सेना के 350-350 जवानों ने हिस्सा लिया जिन्होंने अत्यधिक ठंडे मौसम और पहाड़ों में सर्विलांस समेत कई अन्य सैन्य गतिविधियों का अभ्यास किया। भारत और अमेरिका के बीच हर साल द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास होता है जिसे 'युद्धाभ्यास' के नाम से जाना जाता है। पिछले साल यह अभ्यास अक्टूबर में अमेरिका के अलास्का में आयोजित हुआ था।