
भारत में हर साल आत्महत्या करते हैं लगभग 10,000 छात्र, परीक्षा में असफलता सबसे बड़ा कारण
क्या है खबर?
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल लगभग 10,000 छात्र आत्महत्या करते हैं।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से 2018 के बीच हर साल देशभर में 10,000 से अधिक छात्रों से आत्महत्या की। ये आंकड़ा किसानों की आत्महत्याओं के लगभग बराबर है।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भेजे गए आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट के हवाले से मंत्रालय ने ये जानकारी संसद को दी है।
डाटा
पिछले 10 साल में 2018 में सबसे अधिक छात्रों ने की आत्महत्या
संसद में पेश किए आंकड़ों के अनुसार, 2016 में 9,478 छात्रों और 2017 में 9,905 छात्रों ने आत्महत्या की। वहीं 2018 में ये आंकड़ा सारे रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 10,159 पर पहुंच गया जो पिछले दस साल में सबसे अधिक है।
राज्यों की स्थिति
महाराष्ट्र में हर साल 1,000 से अधिक छात्र कर रहे आत्महत्या
आंकड़ों के मुताबिक, इन तीन सालों में महाराष्ट्र में सबसे अधिक 4,235 छात्रों ने आत्महत्याएं कीं। तीनों ही साल 1,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की और 2018 में सबसे अधिक 1,448 छात्रों ने आत्महत्या की।
महाराष्ट्र के अलावा पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां इन तीन में से किसी एक साल में 1,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की। 2016 में पश्चिम बंगाल में 1,147 छात्रों ने आत्महत्या की थी। 2018 में ये आंकड़ा 609 रहा।
अन्य राज्यों की स्थिति
इन राज्यों में तीन साल में 2,000 से अधिक छात्रों ने की आत्महत्या
महाराष्ट्र के बाद दूसरा नंबर तमिलनाडु का रहा जहां 2016 से 2018 के बीच 2,744 छात्रों ने आत्महत्या की। 2018 में ये आंकड़ा 953 रहा।
वहीं मध्य प्रदेश इस सूची में तीसरे नंबर पर रहा जहां इन तीन सालों में 2,658 छात्रों ने आत्महत्या की। 2018 में राज्य में 862 किसानों ने आत्महत्या की।
तीन साल में 2,535 छात्रों की आत्महत्या के साथ पश्चिम बंगाल चौथा और आखिरी ऐसा राज्य रहा जहां 2,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की।
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दिल्ली में 600 से अधिक छात्रों ने की आत्महत्या
अगर देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां 2016 से 2018 के बीच 626 छात्रों ने आत्महत्या की। दिल्ली में 2016 में 211, 2017 में 212 और 2018 में 2013 छात्रों ने खुद की जान ली।
कारण
इन कारणों से आत्महत्या करते हैं छात्र
रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में आत्महत्या करने वाले छात्रों में से एक चौथाई (25 प्रतिशत) छात्रों ने परीक्षा में असफलता के कारण खुद की जान ली।
इसके अलावा ड्रग्स, डिप्रेशन, ब्रेकअप और परिवार में झगड़ा आदि छात्रों की आत्महत्या के अन्य कारण रहे।
मंत्रालय का कहना है कि उसकी 'समग्र शिक्षा योजना' के तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को फंड प्रदान करता है ताकि वे छात्रों के फर्स्ट-लेवल काउंसलर बनने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित कर सकें।
अन्य आंकड़ों
किसानों, बेरोजगारों और स्व-रोजगार करने वाले लोगों में भी आत्महत्या के आंकड़े गंभीर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में कुल एक लाख 34 हजार 516 लोगों ने आत्महत्या की थी।
इनमें किसानों की संख्या 10,349 रही जो कुल आत्महत्याओं का 7.7 प्रतिशत है। इनमें 4,586 कृषि मजदूर भी शामिल रहे।
वहीं पूरे साल में 12,396 बेरोजगारों ने भी आत्महत्या की। ये आंकड़ा कुल आत्महत्याओं का 9.6 प्रतिशत है।
स्व-रोजगार (self-employed) करने वाले कई लोगों की भी स्थिति अच्छी नहीं रही और ऐसे 13,149 लोगों ने आत्महत्या की।