राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे से पहले जानिए कैसा रहा है भारत-अमेरिका के संबंधों का इतिहास
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं। उनके साथ पत्नी मेलानिया और बेटी इवांका भी आ रही हैं। इस दौरे को भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूती देने वाला माना जा रहा है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि दौरे पर क्या समझौते होंगे, लेकिन उनके स्वागत की जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। ट्रंप के दौरे से पहले यहां हम आपको बता रहे हैं भारत-अमेरिका के संबंधों का इतिहास कैसा रहा है।
ये अमेरिकी राष्ट्रपति कर चुके हैं भारत का दौरा
बता दें कि ट्रंप से पहले छह अमेरिकी राष्ट्रपति सात बार भारत का आधिकारिक दौरा कर चुके हैं। सबसे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर ने साल 1959 में भारत का दौरा किया था। उसके बाद साल 1969 में पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड मिल्हौस निक्सन, 1978 में जिमी कार्टर, 2000 में बिल क्लिंटन और 2006 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश भारत दौरे पर आए थे। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साल 2010 और 2015 में भारत का दौरा किया था।
सात दशक पहले हुई थी भारत-अमेरिका के राजनीतिक संबंधों की शुरुआत
भारत-अमेरिका के राजनीतिक संबंधों की शुरुआत करीब 70 साल पहले 1949 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के अमेरिकी दौरे के साथ हुई थी। नेहरू उस समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हेनरी टूमैन के मेहमान बने थे। उस समय दोनों देशों की विचारधारा में अंतर होने के कारण उनके संबंध औपचारिक ही रहे। इसके बाद नेहरू ने साल 1956, 1960 और 1961 में अमेरिका की यात्राएं की, लेकिन दोनों देशों के संबंध ज्यादा मजबूत नहीं हो सके।
साल 1962 में बढ़ी भारत-अमेरिका के बीच नजदीकियां
पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के कार्यकाल के दौरान साल 1959 में अमेरिकी राष्ट्रपति डी आइजनहावर ने भारत का पांच दिवसीय दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री नेहरू से मुलाकात कर संसद को संबोधित किया था। 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान नेहरू ने राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को खत लिखकर मैकमोहन लाइन को सीमा रेखा मानने का अनुरोध किया था। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध तक दोनों देशों के बीच नजदीकियां रही।
नॉरमन बोरलॉग के भारत आगमन से हुई हरित क्रांति की शुरुआत
भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जून 1963 में अमेरिका की यात्रा करने वाले भारत के पहले राष्ट्रपति बने थे। उसी साल अमरीकी कृषि विशेषज्ञ नॉरमन बोरलॉग ने भारत का दौरा कर भारतीय कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन से मुलाकात की। उसी मुलाकात का असर था कि भारत में 'हरित क्रांति' का आगाज हुआ। दोनों विशेषज्ञों की इस मुलाकात ने भी दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत करने का काम किया था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में परमाणु परीक्षण के साथ ही बिगड़े संबंध
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने साल 1966 और 1971 में अमेरिका का दौरा कर संबंधों को मजबूत बनाने का प्रयास किया। इसी कारण 1969 में अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भी भारत के दौरे पर आए थे। हालांकि, साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के तीसरे युद्ध में अमेरिका के पाकिस्तान का सहयोग करने पर संबंधों में थोड़ी खटास आ गई थी। यही कारण था कि 18 मई, 1974 को भारत के परमाणु परीक्षण करने पर अमेरिका ने इसका खुलकर विरोध किया था।
मोरारजी देसाई के कार्यकाल में भी आई थी संबंधों में कड़वाहट
इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री बनने वाले मोरारजी देसाई ने 1978 में अमेरिका यात्रा की। इस यात्रा के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर भी भारत आए और उन्होंने परमाणु अप्रसार अधिनियम लाकर भारत सहित तमाम देशों के परमाणु संयंत्रों के परीक्षण की मांग की। भारत के इनकार करने पर अमेरिका ने भारत से सभी तरह का परमाणु सहयोग खत्म कर दिए। उसके बाद से भारत और अमेरिका के राजनीतिक संबंधों में कड़वाहट बढ़ गई थी।
राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के कार्यकाल में मिले-जुले रहे संबंध
प्रधानमंत्री बनने के बाद राजीव गांधी ने साल 1985 में दो बार और फिर 1987 और 1988 में अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) सम्मेलन में शामिल होकर संबंधों में मिठास लाने का प्रयास किया, लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली। हालांकि, 1991 में आर्थिक उदारीकरण के चलते अमेरिका से कारोबारी रिश्ते सुधरे थे। इसके बाद साल 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने UNSC में राष्ट्रपति बुश से मुलाकात की और 1994 में अमेरिका का राजकीय दौरा किया।
अटल बिहारी वाजपेयी के समय अमेरिका ने भारत पर लगाए आर्थिक प्रतिबंध
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय साल 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए जाने से अमेरिका खासा नाराज हुआ था। यही कारण था कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि, इसके बाद 1999 में करगिल युद्ध के समय अमेरिका ने भारत का सपोर्ट किया था। 2000 में वाजपेयी के अमेरिका जाने के बाद उसी साल क्लिंटन ने भी भारत का दौरा किया था। वाजपेयी 2001 में भी अमेरिका गए थे।
मनमोहन सिंह सरकार ने ओबामा ने किया भारत का दौरा
साल 2001 में राष्ट्रपति बुश द्वारा भारत से आर्थिक प्रतिबंध हटाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साल 2005, 2008 और 2010 समेत कई बार अमेरिका का दौरा किया था। यही कारण था कि 2005 में भारत-अमेरिका ने रक्षा सहयोग पर समझौता किया और 2006 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने भारत का दौरा कर परमाणु समझौते पर दस्तखत किए। साल 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने मुंबई आकर भारत-अमेरिकी कारोबारी सम्मेलन को संबोधित किया था।
दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने की ओर बढ़ रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बधाई दी और अमेरिका आने का न्यौता दिया था। इसके बाद 2015 में ओबामा ने भारत का दौरा कर संबंधों को मजबूत करने की पहल की। 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने व्हाइट हाउस का दौरा किया था और 2018 में दोनों देशों ने दिल्ली में 'टू प्लस टू' वार्ता कर संबंधों को और बेहतर किया।
जब अमेरिका के लोग बोले 'हाउडी मोदी'
सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में राष्ट्रपति ट्रंप की मौजूदगी में लगभग 50,000 लोगों को संबोधित किया था। इस कार्यक्रम की तर्ज पर ही 24 फरवरी को 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।