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    जस्टिस यूयू ललित बन सकते हैं अगले CJI, एनवी रमन्ना ने की सिफरिश
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    जस्टिस यूयू ललित बन सकते हैं अगले CJI, एनवी रमन्ना ने की सिफरिश

    लेखन भारत शर्मा
    August 04, 2022 | 01:49 pm 1 मिनट में पढ़ें
    जस्टिस यूयू ललित बन सकते हैं अगले CJI, एनवी रमन्ना ने की सिफरिश
    CJI एनवी रमन्ना ने अगले CJI के रूप में की जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिश। तस्वीर: (Twitter/@SanakkSharma2)

    जस्टिस यूयू ललित (उदय उमेश ललित) देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बन सकते हैं। वर्तमान CJI एनवी रमन्ना ने गुरुवार को अपने उत्तराधिकारी के रूप में सरकार से उनके नाम की सिफारिश की है। यदि इस सिफारिश को माना जाता है तो जस्टिस ललित के भारत के 49वें CJI के रूप में शपथ ले लेंगे। रमन्ना 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले हैं और उनके बाद वरिष्ठता क्रम के अनुसार जस्टिस ललित ही इस पद के दावेदार हैं।

    CJI रमन्ना ने जस्टिस ललित को सौंपी सिफारिश की कॉपी

    केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने CJI रमन्ना की सेवानिवृत्ति को देखते हुए बुधवार को उन्हें पत्र लिखकर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने का अनुरोध किया था। इस पर CJI ने गुरुवार को जस्टिस ललित के नाम की सिफारिश की और इसकी एक कॉपी जस्टिस ललित को भी सौंपी। यदि जस्टिस ललित CJI बनते हैं तो वह बार से सुप्रीम कोर्ट की बेंच में सीधे पदोन्नत होने वाले दूसरे CJI बन जाएंगे।

    जस्टिस एसएम सीकरी थे सीधे पदोन्नत होकर CJI बनने वाले पहले जस्टिस

    बार से सुप्रीम कोर्ट की बेंच में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले CJI जस्टिस एसएम सीकरी थे। उन्हें जनवरी 1971 में देश का 13वां CJI बनाया गया था। जस्टिस ललित को 13 अगस्त, 2014 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया था।

    तीन तलाक पर फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा थे जस्टिस ललित

    जस्टिस ललित देश की सामाजिक व्यवस्था पर बड़ा असर डालने वाले तीन तलाक मामले पर अहम फैसले देने वाली पीठ का हिस्सा रहे हैं। इस पीठ ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था। उन्होंने अयोध्या मामले से खुद को अलग कर लिया था, क्योंकि वह बाबरी विध्वंस से संबंधित अवमानना ​​मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की ओर से पेश हो रहे थे। उनके इस फैसले ने खूब सुर्खियां बटोरी थी।

    इन अहम फैसलों का भी हिस्सा रहे हैं जस्टिस ललित

    जस्टिस ललित सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नत होने के बाद से कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के रखरखाव से जुड़े मामले में भी उन्होंने फैसला सुनाया था। यही नहीं POCSO एक्ट को लेकर भी अहम फैसला सुनाने वाली पीठ का भी वह हिस्सा रहे थे। इस फैसले में कहा गयाा था कि गलत मंशा से बच्चों के निजी अंग छूना भी POCSO एक्ट की धारा 7 के तहत यौन उत्पीड़न माना जाएगा।

    तीन महीने से भी कम का होगा जस्टिस ललित का कार्यकाल

    9 नवंबर, 1957 को जन्मे जस्टिस ललित ने जून 1983 में एडवोकेट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। वह 1985 तक बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील थे। इसके बाद 1986 में वह दिल्ली आए और अप्रैल 2004 में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की। जस्टिस ललित का CJI के तौर पर कार्यकाल काफी छोटा यानी महज तीन महीने का होगा और वह 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

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