मध्य प्रदेश: किल्लत के बीच भोपाल के अस्पताल से चोरी हुए रेमडेसिवीर के 853 इंजेक्शन
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए जीवनरक्षक माने जाने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन की महामारी की दूसरी लहर में किल्लत आ गई है। हालात यह है कि लोग इन इंजेक्शनों की कालाबाजी तक करने लगे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक अस्पताल से रेमडेसिवीर के 800 से अधिक इंजेक्शन चोरी होने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इसको लेकर अस्पताल प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
रेमडेसिवीर क्या है?
रेमडेसिवीर एक एंटी-वायरल दवा है, जो कथित तौर पर वायरस को फैलने से रोकती है। 2009 में अमेरिका के गिलीड साइंसेस ने हेपेटाइटिस C का उपचार करने के लिए इसे बनाया था। 2014 तक इस पर रिसर्च चला और तब इबोला के इलाज में इसका इस्तेमाल हुआ। रेमडेसिवीर का इस्तेमाल उसके बाद कोरोना वायरस फैमिली के मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) के इलाज में किया जा रहा है।
अस्पताल के सेंट्रल स्टोर रूम से चोरी हुए इंजेक्शन
मामला भोपाल के हमीदिया सरकारी अस्पताल का है। अस्पतालों में रेमडेसिवीर इंजेक्शनों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने अपने स्तर पर इसकी सप्लाई शुरू की थी और शुक्रवार को मरीजों के उपयोग के लिए हमीदिया अस्पताल में 853 इंजेक्शन पहुंचाए गए थे। शनिवार सुबह जब मरीजों को लगाने के लिए स्टोर रूम में इंजेक्शन निकाले जाने थे, तो उसके बॉक्स वहां मौजूद नहीं थे। इससे अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया।
सेंट्रल स्टोर रूम की ग्रिल काटकर चुराए इंजेक्शन
मामले में अस्पताल के अधीक्षक आईडी चौरसिया ने बताया कि जांच में इंजेक्शन के पास वाली ग्रिल कटी हुई मिली थी और इसके अलावा अन्य कोई दवा चोरी नहीं हुई। ऐसे में संभव है कि चोर ग्रिल को काटकर इंजेक्शन ले गए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कोहेफिजा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है तथा इंजेक्शनों को सेंट्रल स्टोर रूम में रखने वाले कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है।
पुलिस खंगल रही CCTV कैमरों की फुटेज
चौरसिया ने बताया कि पुलिस मामले की जांच में जुटी है। ऐसे में सेंट्रल स्टोर रूम सहित उसके आस-पास के क्षेत्रों में लगे CCTV कैमरों की फुटेज भी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में इंजेक्शन चोरी होने का यह पहला मामला है।
मध्य प्रदेश सरकार ने रेमडेसिवीर की आपूर्ति के लिए जारी की नई गाइडलाइंस
बता दें कि मध्य प्रदेश में रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर हुई मारा-मारी के बीच सरकार ने इसकी आपूर्ति के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी। इसके मुताबिक भोपाल, इंदौर, उज्जैन और देवास को छोड़कर अन्य जिलों में 50 प्रतिशत इंजेक्शन के आवंटन के लिए जिला कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं। इसी तरह अनुबंधित अस्पताल से कोई राशि नहीं ली जाएगी, जबकि निजी अस्पताल से प्राप्त राशि (प्रति इंजेक्शन 1,568 रुपए) रेडक्राॅस में जमा कराई जाएगी।
केंद्र सरकार ने रेमडेसिवीर के निर्यात पर रोक लगाई
केंद्र सरकार ने गत दिनों ही रेमडेसिवीर के निर्यात पर रोक लगाई है। इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों का भी निर्यात नहीं हो सकेगा। महामारी के उपचार के लिए इसकी मांग बढ़ने की संभावना को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया था।
इंजेक्शन चोरी होने से मरीजों को हो सकती है परेशानी
रेमडेसिवीर इंजेक्शनों को कोरोना महामारी के उपचार में बेहद कारगर माना जाता है। वैक्सीन के आने से पहले उपचार में इसका बहुतायत से उपयोग किया जा रहा था और दूसरी लहर में भी इसकी बेहद ज्यादा मांग है। इसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए ही सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। ऐसे में हमीदिया अस्पताल से इन इंजेक्शनों से चोरी होने से वहां भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। यह बेहद गंभीर मामला है।
जयपुर के कावंटिया अस्पताल से चोरी हो चुकी है 'कोवैक्सिन'
बता दें कि गत 13 अप्रैल को राजस्थान की राजधानी जयपुर के कावंटिया सरकारी अस्पताल से भी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' की 320 खुराकें चोरी हो गई थी। अस्पताल प्रशासन के स्टॉक की जांच करने पर चोरी का खुलासा हुआ था। उसके बाद अस्पताल प्रशासन ने वैक्सीन चोरी का मामला दर्ज कराया था। चौंकाने वाली बात यह थी कि जिस जगह से वैक्सीन की चोरी हुई थी, वहां का CCTV कैमरा भी काम नहीं कर रहा था।
मध्य प्रदेश में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
मध्य प्रदेश में शुक्रवार को 11,045 नए मामले सामने आए और 60 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ संक्रमितों की कुल संख्या 3.85 लाख पर पहुंच गई है। इनमें से 4,025 मरीजों की मौत हो चुकी है और 3.21 लाख ठीक हो गए।