RSS मुख्यालय और मोहन भागवत को उड़ाने की धमकी देने वाले किसान नेता के खिलाफ FIR
मध्य प्रदेश पुलिस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर मुख्यालय और RSS प्रमुख मोहन भागवत को उड़ाने की धमकी देने वाले किसान नेता अरुण बनकर के खिलाफ FIR दर्ज की है। बैतूल जिले के भाजपा अध्यक्ष आदित्य बाबला शुक्ला की शिकायत पर जिले के कोतवाली पुलिस थाने में ये FIR दर्ज की गई है। बनकर ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं बख्शा था और उनके खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
अरुण बनकर ने क्या कहा था?
नागपुर के किसान नेता और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के संयोजक अरुण बनकर ने सोमवार को बैतूल के मुलताई में मीडिया से बात करते हुए कहा था, "प्रधानमंत्री मोदी किसानों पर गोलियां नहीं चला सकते नहीं तो सेना के जवान विद्रोह कर देंगे। फिर भी यदि सरकार ने ऐसा किया तो हम मोहन भागवत को उड़ाएंगे, RSS के मुख्यालय को उड़ा देंगे। अब किसान दिल्ली में घुस गए हैं।"
"प्रधानमंत्री मोदी पर आत्महत्या करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा"
प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधते हुए बनकर ने कहा था, "मोदी के सामने एक ही रास्ता है या तो कानून पीछे लें, नहीं तो उन्हें आत्महत्या करनी पड़ेगी। प्रधानमंत्री मोदी का स्वभाव हिटलर वाला है। वह किसी हाल में अपने कदम पीछे नहीं लेंगे और आत्महत्या के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा।" महाराष्ट्र से दिल्ली जा रहे किसानों का मुतलाई में स्वागत करने के बाद बनकर ने ये विवादित बयान दिया था।
भाजपा जिलाध्यक्ष बोले- जनता को भड़का कर शांति भंग करना चाहते हैं बनकर
अब बनकर के इस बयान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए भाजपा के जिलाध्यक्ष आदित्य शुक्ला ने कहा, "अरुण बनकर जनता को भड़का कर समाज की शांति और सद्भाव को भंग करना चाहते हैं। पुलिस को तत्काल उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए।" पुलिस के अनुसार, बनकर के खिलाफ IPC की धारा 505 (2) (जनता को भड़काने के उद्देश्य से बयान देना) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले में अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
बनकर के बयान के समय दिल्ली में सरकार से बात कर रहे थे किसान नेता
बता दें कि बनकर ने ये बयान ऐसे समय पर दिया था, जब सोमवार को ही दिल्ली में किसान नेता कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से बातचीत कर रहे थे। किसानों और सरकार के बीच ये सातवें दौर की बैठक थी, हालांकि इसमें भी गतिरोध को खत्म करने के लिए कोई समाधान नहीं निकला और सरकार ने कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया। किसान भी कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।