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    चार साल में देश में बढ़े 741 बाघ, लेकिन घट गया उनके 'घर' का दायरा

    चार साल में देश में बढ़े 741 बाघ, लेकिन घट गया उनके 'घर' का दायरा
    लेखन भारत शर्मा
    Jul 30, 2020, 09:57 pm 1 मिनट में पढ़ें
    चार साल में देश में बढ़े 741 बाघ, लेकिन घट गया उनके 'घर' का दायरा

    देश में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (29 जुलाई) पर बाघों की संख्या में बढ़ोतरी होने को लेकर खुशियां मनाई गई, लेकिन हकीकत यह है कि देश में उनके घर (जंगल) का दायरा बड़ी तेजी के साथ कम हुआ है। साल 2011 से 2017 के बीच देश में 4,685 वर्ग किलोमीटर (मुंबई और गोवा के कुल आकार से अधिक) बाघों के जंगल खत्म हो गए। गत 28 जुलाई को जारी हुई ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

    चार साल में देश में बढ़े 471 बाघ

    इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सितंबर 2019 में आने वाली यह रिपोर्ट 11 महीने देर से आई है। इसमें कहा गया कि 29 जुलाई 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सारांश रिपोर्ट में भारत के बाघों की संख्या 2014 में 2,226 से 2018 में 2,967 तक 33 प्रतिशत बढ़ने की घोषणा की गई थी। जंगल क्षेत्र और बाघों की संख्या की रिपोर्ट से साफ है कि बाघों की संख्या बढ़ने के साथ उनके जंगल भी तेजी से कम हुए हैं।

    चार सालों में स्थिर रहा जंगलों का क्षेत्र

    देश में साल 2014 से 2018 के बीच बाघों की संख्या में 741 की बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन उस अवधि में बाघ के जंगलों का क्षेत्र 88,000-89,000 वर्ग किलोमीटर पर ही स्थिर रहा था। ऐसे में बाघों के रहने की जगह कम पड़ गई।

    छह सालों में हुआ 4,685 वर्ग किलोमीटर जंगल का नुकसान

    2011 के फॉरेस्ट सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किए गए भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) रिपोर्ट के बाद से भारत के जंगल क्षेत्र की स्थिति बदल गई। इसके बाद 2018 की बाघों की संख्या की रिपोर्ट के तुलनात्मक विश्लेषण के लिए 2014 की बाघों के कब्जे वाले जंगलों की रिपोर्ट से मिलान किया गया। इसमें पाया गया है कि साल 2011 से 2017 के बीच देश में 4,685 वर्ग किलोमीटर बाघों के जंगलों का नुकसान हुआ है।

    इन क्षेत्रों में घटे बाघों के जंगल

    2017 के जंगल क्षेत्र के लिए समायोजित, 2014 की रिपोर्ट में किए गए बाघों वाले जंगलों की सीमा शिवालिक, मध्य भारतीय और पश्चिमी घाट परिदृश्य में काफी कम हो गई थी। इसकी भरपाई उत्तर-पूर्व में बड़े पैमाने पर 4,080 वर्ग किमी के जंगलों से हुई। यह संभवतः ऊंचाई वाले जंगलों में शामिल होने से है, जहां हाल ही में बाघों को देखा गया है। कुल मिलाकर, FSI ने छह साल में 34,204 वर्ग किमी जंगलों का विनाश दर्ज किया है।

    मामले पर बोलने से बच रहे हैं अधिकारी

    मामले पर वन विभाग के अधिकारी बोलने से बच रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर वाईवी झाला से बात की तो उन्होंने बोलने से इनकार कर दिया। इसी तरह राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) प्रमुख एसपी यादव भी उपलब्ध नहीं थे। NTCA के पूर्व प्रमुख डॉ राजेश गोपाल ने कहा, "हां हमने कुछ हासिल किया तो कुछ खो भी दिया। बाघ के मोर्चे पर भारत के प्रयास अद्वितीय हैं।"

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