बकाया बिल का भुगतान न करने के कारण 13 राज्यों के बिजली खरीदने-बेचने पर रोक
बकाया बिलों का भुगतान न करने के चलते देश के लगभग आधे राज्यों के स्पॉट पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने और बेचने पर रोक लगा दी गई है। इन राज्यों पर लगभग 51 अरब रुपये बकाया हैं और अब ये पावर एक्सचेंज का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। राज्यों को समय पर बकाया बिल का भुगतान करने के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने नए नियम लागू किए थे और उन्हीं के तहत ये कदम उठाया गया है।
13 राज्य नहीं कर सकेंगे पावर एक्सचेंज का इस्तेमाल
देश के केंद्रीय ग्रिड ऑपरेटर पावर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन के अध्यक्ष एसआर नरसिम्हन के अनुसार, 13 राज्य जनरेटर्स और ट्रांसमिशन कंपनियों के बकाये का भुगतान करने तक बिजली खरीदने और बेचने के लिए पावर एक्सचेंज का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इन राज्यों में महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे धनी राज्य भी शामिल हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ भी इस सूची में शामिल हैं। पावर एक्सचेंज से बाहर किए जाने पर इन राज्यों में बिजली संकट पैदा हो सकता है।
केंद्र सरकार ने नए नियम जारी कर ग्रिड ऑपरेटर को दिया था अधिकार
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस साल नई गाइडलाइंस जारी की थीं जिनमें राष्ट्रीय ग्रिड ऑपरेटर को बकाया बिल का भुगतान न करने पर बिजली स्त्रोतों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का अधिकार दिया गया था। इनमें कहा गया था कि अगर राज्यों के बिजली खुदरा विक्रेता बिल बनने के ढाई महीने के अंदर भुगतान नहीं करते हैं तो उनके बिजली के शॉर्ट-टर्म स्त्रोतों के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी जाएगी।
बिजली उद्योग की सबसे कमजोर कड़ी हैं खुदरा बिजली विक्रेता
गौरतलब है कि भारत के बिजली उद्योग में राज्यों के खुदरा बिजली विक्रेताओं को सबसे कमजोर कड़ी के तौर पर देखा जाता है। इनके भुगतान न करने के बाद बिजली उत्पादकों से लेकर कोयला सप्लायर्स तक के लिए संकट पैदा हो जाता है। देश की लगभग 90 प्रतिशत बिजली इन खुदरा विक्रेताओं के जरिए बेची जाती है और उनके समय पर भुगतान न करने को विश्वसनीय बिजली सप्लाई और ढांचे के आधुनिकीकरण में रुकावट के तौर पर देखा जाता है।
प्रधानमंत्री ने भी की थी राज्यों से बकाया चुकाने की अपील
बता दें कि जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी ने भी राज्यों से बिजली कंपनियों का बकाया चुकाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि बिजली कंपनियों का विभिन्न राज्यों और सरकारी विभागों पर 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक बकाया है और कुछ राज्य तो ग्राहकों को दी जा रही सब्सिडी के पैसे भी नहीं दे रहे हैं। उन्होंने पूछा था कि जब देशवासी ईमानदारी से अपना बिजली का बिल चुकाते हैं, तब भी राज्यों पर बकाया क्यों रहता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
इसी साल अप्रैल में कोयले की कमी और गर्मी की वजह से बढ़ती मांग के कारण भारत में बिजली संकट छा गया था। इस संकट के दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, ओडिशा और झारखंड समेत कई राज्यों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई थी और भीषण गर्मी के बीच लोगों को घंटों लंबी बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था। मानसून के समय भी खदानों में पानी भरने के कारण कुछ राज्यों में बिजली संकट पैदा हो जाता है।