कोयले की कमी के कारण किन-किन राज्यों में छाया बिजली संकट?
देशभर में गर्मी के कहर के बीच बिजली कटौती ने लोगों के पसीने छुटा दिए हैं और उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली आपूर्ति में ये कटौती कोयले की कमी और तकनीकी खामियों के कारण हो रही है और कोयले की कमी को पूरी करने के लिए इसकी अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जा रही हैं। आइए जानते हैं कि कोयले की कमी के कारण किस-किस राज्य में बिजली संकट छाया हुआ है।
दिल्ली
बढ़ती गर्मी के बीच दिल्ली में इस महीने बिजली की मांग में 34 प्रतिशत बढ़ चुकी है और गुरूवार को शहर में 6,000 मेगावाट बिजली की मांग रही। ये तब हो रहा है जब शहर को बिजली की आपूर्ति करने वाले दो संयंत्रों पर मात्र एक दिन का कोयला बचा है। दिल्ली सरकार का कहना है कि कोयले की इस कमी के चलते सरकारी अस्पतालों और दिल्ली मेट्रो समेत महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
उत्तर प्रदेश
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अभी रोजाना 23,000 मेगावाट बिजली की मांग है, जबकि आपूर्ति लगभग 20,000 मेगावाट की ही है। इस कमी को पूरा करने के लिए ग्रामीण इलाकों और छोटे कस्बों में बिजली काटी जा रही है। अभी राज्य के ग्रामीण इलाकों में तय 18 घंटे की जगह 15 घंटे 7 मिनट बिजली दी जा रही है। कुछ इलाकों में तो इस औसत से भी कम बिजली आ रही है।
हरियाणा
हरियाणा इन दिनों 3,000 मेगावाट बिजली की कमी से जूझ रहा है और ग्रामीण इलाकों में कई-कई घंटे बिजली कट रही है। गुरूग्राम में ही बुधवार को चार से छह घंटे बिजली कटी। मांग और आपूर्ति में अंतर पाटने के लिए राज्य सरकार मुंद्रा पावर प्लांट से बिजली आपूर्ति को बहाल कराने के लिए अडानी पावर लिमिटेड से बात कर रही है। इसी हफ्ते राज्य को अदानी पावर से 1,400 MW बिजली मिलने की उम्मीद है।
पंजाब
पंजाब में बिजली संकट के पीछे तकनीकी खामियां और कोयले की कमी को कारण बताया जा रहा है। बुधवार को राज्य में बिजली की मांग, 7,800 MW पहुंच गई, जो उपलब्धता से लगभग 800 MW अधिक थी। इसके चलते कई जगह बिजली कटौती की गई। राज्य के थर्मल प्लांट की क्षमता 5,480 MW बिजली उत्पादन की है, लेकिन कोयले की कमी के चलते यहां केवल 3,700 MW बिजली पैदा हो रही है।
राजस्थान
राजस्थान मे पिछले साल अप्रैल में रोजाना 2,131 लाख यूनिट बिजली की मांग थी, जो इस साल बढ़कर 2,800 यूनिट हो गई है। इसी तरह पीक आवर्स के दौरान बिजली की मांग में करीब 2,000 मेगावाट की बढ़ोतरी हुई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि राज्य के प्लांट 10,110 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकते हैं, लेकिन अभी यहां 6,600 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है। राज्य में पांच-सात घंटे बिजली कट रही है।
झारखंड
झारखंड में अप्रैल से पहले 1,850 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन अब मांग 2,500-2,600 मेगावाट तक पहुंच गई है। इस कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने दामोदर वैली कॉर्पोरेशन से 200 MW अतिरिक्त बिजली आपूर्ति की मांग की है। फिलहाल यहां से 550 मेगावाट की आपूर्ति हो रही है। राज्य सरकार ने पावर एक्सचेंज से भी बिजली लेने की कोशिश की, लेकिन यहां कामयाबी नहीं मिली। कई जगहों पर घंटों बिजली कट रही है।
आंध्र प्रदेश और केरल
आंध्र प्रदेश में बिजली की दैनिक मांग 21 करोड़ यूनिय पहुंच गई है और रोजाना पांच करोड़ यूनिट की कमी पड़ रही है। अभी राज्य में बिजली कंपनियां हर हफ्ते उद्योगों के लिए दो घंटे की 'बिजली छुट्टी' कर रही हैं। अन्य इलाकों में भी बिजली काटी जा रही है। बिहार में प्रतिदिन 200-300 मेगावाट बिजली की कमी पड़ रही है। इसके कारण ग्रामीणों इलाकों में घंटों बिजली काटी जा रही है।
जम्मू-कश्मीर और केरल
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में 16 घंटे तक बत्ती गुल हो रही है। यहां बिजली की मांग 3,000 मेगावाट है, लेकिन करीब इसकी आधी की ही आपूर्ति हो पा रही है। जम्मू-कश्मीर के बिजली संयंत्रों में भी उत्पादन काफी कम रह गया है। केरल में भी कोयले की कमी के कारण बिजली का उत्पादन 400 मेगावाट घट गया है। इसके कारण राज्य सरकार ने बिजली की आपूर्ति में कटौती करने का ऐलान किया है।