हरियाणा: खट्टर सरकार बंद करेगी 1,000 से भी ज्यादा प्राइमरी स्कूल, जानिए कारण
क्या है खबर?
हरियाणा के कई प्राइमरी स्कूल बंद होने जा रहे हैं। विभाग ने अगले शैक्षणिक सत्र 2020-21 से 1,000 से भी अधिक सरकारी प्राइमरी स्कूलों को बंद करने की तैयारी कर ली है।
इस फैसले के पीछे का कारण सरकारी प्राइमरी स्कूलों में लगातार घट रही छात्रों की संख्या को बताया जा रहा है। निदेशालय ने इस मामले को लेकर सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगी है।
आइए जानें किस जिले से कितने स्कूल होंगे बंद।
संख्या
सबसे ज्यादा इस जिले के स्कूल होंगे बंद
विभाग द्वारा बंद किए जाने वाले सरकारी प्राइमरी स्कूलों में सबसे ज्यादा स्कूल पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के जिले के हैं।
जी हां, रामबिलास शर्मा के गृहजिले महेंद्रगढ़ के 122 स्कूल बंद किए जाएंगे।
बता दें कि जिस स्कूल में 25 से कम छात्र होंगे, उस स्कूल को बंद किया जाएगा और उस स्कूल के छात्रों को पास के स्कूलों में भेजा जाएगा।
जानकारी
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से मांगी गई ये रिपोर्ट
विभाग ने रिपोर्ट में बंद होने वाले स्कूल से दूसरे स्कूल की दूरी, दूसरे स्कूलों में शिक्षकों की संख्या, बच्चों की संख्या आदि के बारे में सूचना मांगी है। विभाग ने जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को जल्द ही तक रिपोर्ट देने को कहा है।
विवरण
बंद होने वाले इतने स्कूलों में नहीं है एक भी शिक्षक
बंद किए जा रहे स्कूलों में 34 स्कूल तो ऐसे हैं, जिसमें एक भी शिक्षक ही नहीं हैं।
इन स्कूलों में अम्बाला के दो, फतेहाबाद का एक, गुरुग्राम के चार, करनाल का एक, महेंद्रगढ़ के 14, पंचकूला के तीन, रेवाड़ी के दो, रोहतक का एक और यमुनानगर के पांच स्कूल शामिल हैं।
वहीं, प्रदेश के 79 स्कूल ऐसे भी हैं, जिसमें पांच या उससे से भी कम बच्चे पढ़ रहे हैं।
स्कूलों की संख्या
बंद होंगे इतने स्कूल
हरियाणा में बंद होने वाले 1,026 स्कूलों में महेंद्रगढ़ के 122, रेवाड़ी के 110, यमुनानगर के 104, कुरुक्षेत्र के 96, भिवानी के 72, अम्बाला के 57, पंचकूला के 57, चरखीदादरी के 56, सिरसा के 50, झज्जर के 48, फतेहाबाद के 38, हिसार के 38, गुड़गांव के 41, करनाल के 31, कैथल के 30, सोनीपत के 26, जींद के 12, पलवल के 12, पानीपत के 09, फरीदाबाद के आठ, रोहतक के सात और नूंह के दो स्कूल शामिल हैं।
कारण
क्यों हो रही है बच्चों की संख्या कम?
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष तरुण सुहाग का कहना है कि बच्चों की संख्या कम होने का कारण शिक्षक नहीं हैं। वे बच्चों की संख्या कम होने में शिक्षकों की कमी नहीं मानते हैं। वे इसका दोष सरकार का दे रहे हैं।
उनका कहना है कि शिक्षकों को इतने अन्य काम दिए जाते हैं कि वे पढ़ाई के काम पूरे नहीं कर पाते हैं। उनके अनुसार बच्चों की कम संख्या का एक बड़ा कारण सरकार है।