उत्तर प्रदेश: विधानसभा में ध्वनि मत से पारित हुआ धर्म परिवर्तन पर विवादित विधेयक
उत्तर प्रदेश विधान मंडल बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए लाए गए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2020 को बुधवार को विधानसभा में ध्वनि मत से पारित करा लिया है। हांलाकि, अभी यह विधेयक विधान परिषद में पास होने के बाद राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। राज्यपाल के हस्ताक्षर होने के बाद यह राज्य में एक कानून बन जाएगा।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 24 नवंबर को पास किया था अध्यादेश
बता दें कि राज्य में होने वाली जबरन धर्मांतरण की घटनाओं को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश कैबिनेट में 24 नवंबर, 2020 को 'विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' को मंजूरी दे दी थी। इसके तीन दिन बाद सरकार ने अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। जिसे राज्यापाल ने मंजूरी दे दी थी। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के साथ ही इस अध्यादेश ने राज्य में लागू कर दिया गया था।
अध्यादेश में 10 साल तक की सजा का प्रावधान
'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' नामक राज्य सरकार के इस अध्यादेश में बहला-फुसला कर, जबरन या छल-कपट कर, प्रलोभन देकर या विवाह द्वारा धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए प्रावधान किए गए हैं। ऐसा करने पर 10 साल तक की सजा और 25,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 10 साल तक की जेल और 50,000 रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।
मर्जी से धर्म परिवर्तन के बाद शादी के लिए लेनी होगी अनुमति
इस अध्यादेश के अनुसार किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के बाद शादी के लिए दो महीने पहले जिला कलक्टर से अनुमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर 10,000 जुर्माना और छह महीने से तीन साल तक की जेल का प्रवाधान है।
अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विधेयक को पारित किए जाने के खिलाफ कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कोर्ट इस मामले की जांच के लिए सहमत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट यह जानना चाहता है कि यह अध्यादेश मौलिक अधिकारों का तो उल्लंघन नहीं करता है।
छह माह में विधान मंडल के दोनों सदनों में मंजूरी मिलना आवश्यक
नियम के अनुसार किसी भी अध्यादेश को छह महीने के भीतर विधान मंडल के दोनों सदनों में मंजूरी दिलानी आवश्यक होता है। इसी के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को विधान सभा में इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित करा लिया। अब सरकार इस विधेयक को विधान परिषद में ले जाएगी। वहां भी इसके पारित होने के बाद इसे औपचरिक रूप से राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। इस विधेयक से जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगेगी।
भाजपा शासित अन्य राज्यों ने भी किया है "लव जिहाद" पर कानून लाने का ऐलान
गौरतलब है कि हालिया समय में भाजपा शासित कई राज्यों ने "लव जिहाद" के मामलों को रोकने के लिए कानून बनाने का ऐलान किया है।इन राज्यों में मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्य शामिल हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तो ये भी कहा था कि केंद्र सरकार भी इस पर कानून बनाने पर विचार कर रही है। भाजपा मुस्लिम युवकों के हिंदू लड़कियों से शादी करके उनका धर्म परिवर्तन कराने को "लव जिहाद" कहती है।