'चोर निकल के भागा' रिव्यू: रोमांच का भरपूर डोज, बोर होने का मौका नहीं देती फिल्म
क्या है खबर?
यामी गौतम पिछली बार फिल्म 'लॉस्ट' में नजर आई थीं, जिसमें उनके अभिनय की खासी तारीफ हुई थी।
पिछले काफी समय से दर्शक उनकी फिल्म 'चोर निकल के भागा' की राह देख रहे थे। अब दर्शकों का यह इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है।
फिल्म 24 मार्च को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो गई है। फिल्म में यामी के साथ अभिनेता सनी कौशल मुख्य भूमिका में हैं और अजय सिंह इसके निर्देशक हैं।
फिल्म देखने से पहले पढ़िए इसका रिव्यू।
कहानी
फ्लाइट अटेंडेंट और यात्री के बीच मोहब्बत की शुरुआत
फिल्म में यामी (नेहा) फ्लाइट अटेंडेंट की भूमिका में हैं, वहीं सनी कौशल(अंकित) एक यात्री के किरदार में हैं।
अंकित पहली ही नजर में नेहा को दिल दे बैठता है। दोनों जगह-जगह टकराते हैं। मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता है और फिर होती है उनके बीच प्यार की शुरुआत।
दोनों माता-पिता बनने वाले हैं और साथ जिंदगी बिताने को उत्साहित हैं, लेकिन उनकी खुशियों को नजर तब लगती है, जब एक कर्ज के कारण अंकित बड़ी मुसीबत में फंस जाता है।
कहानी
एक बड़ी चोरी को अंजाम देने की तैयारी
अंकित पर कुछ लोग हीरों की चोरी करने का दबाव डालते हैं। अपनी जान बचाने के लिए अंकित और नेहा मिलकर चोरी की योजना बनाते हैं, वो भी जमीन से 40,000 फीट ऊपर यानी प्लेन में, लेकिन दांव तब उल्टा पड़ जाता है, जब चोरी करने से पहले ही प्लेन हाइजैक कर लिया जाता है।
प्लेन हाईजैक कौन करता है? असली चोर कौन है? अंकित-नेहा का क्या होगा? ऐसे कई सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद ही मिलेंगे।
एक्टिंग
अभिनय के मोर्चे पर हर कलाकार अव्वल
यामी को देख हम तो यही कहेंगे कि OTT पर उन्होंने अपनी सीट पक्की कर ली है। डर, चिंता, बेबसी, गुस्सा हर बदलते भाव के साथ चेहरे का रंग बदलना अभिनय में उनकी परिपक्वता का सबूत है।
सनी ने भी अपने अभिनय का कौशल दिखाया है। चोर के किरदार में वह जंचे हैं। सेकेंड हाफ में इनवेस्टिगेंटिग ऑफिसर बन एंट्री करने वाले शरद केलकर फिल्म में सरप्राइज पैकेज की तरह हैं। उनके बोलने का अंदाज भी दिल जीत लेता है।
निर्देशन
अजय का बेहतरीन निर्देशन
अजय सिंह का निर्देशन वाकई काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने फिल्म में टि्वस्ट इतने डाले हैं कि एक ही प्लेन में फिल्माई गई कहानी भी बोर नहीं करती। शुरुआत से लेकर अंत तक निर्देशक ने एक लय पकड़कर रखी। जबरदस्ती के सीन उन्हाेंने फिल्म में नहीं ठूंसे।
कहानी सधी हुई है और कहानी के हिसाब से किरदार भी निर्देशक ने कमाल के चुने।
सस्पेंस थ्रिलर फिल्माें से जितने रोमांच की उम्मीद की जाती है, उसमें यह काफी हद तक खरी उतरती है।
जानकारी
संगीत और सिनेमैटोग्राफी
फिल्म के संगीत ने इसकी कहानी में जान फूंकने का काम किया। शुरुआत से ही बैकग्राउंड म्यूजिक ने कहानी का पूरा साथ दिया। बात करें सिनेमैटोग्राफी की तो दृश्यों को बखूबी कैमरे में कैद किया गया है। सिनेमैटोग्राफर की मेहनत फिल्म में साफ झलकती है।
कमियां
कहां हुई चूक?
मनाेरंजन से ताल से ताल मिलाती लगभग 1 घंटा 50 मिनट की इस फिल्म में कुछेक कमियां हैं, लेकिन वो खामियां ऐसी हैं, जिन्हें नजरअंदाज किया जा सकता है। फिल्म में कलाकारों के संवादों पर और काम किया जा सकता था।
फिल्म की कहानी में आपको मजबूती की कमी अखर सकती है। हालांकि, कहानी के जो ढीले हिस्से थे, तेज रफ्तार और रोमांस ने उन्हें कस लिया। इसकी घटनाएं ऐसे बांधे रखती हैं कि ढील खुद-ब-खुद बर्दाश्त हो जाती है।
फैसला
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?
न तो इस फिल्म का खास प्रमोशन हुआ और ना ही इससे किसी को इतनी उम्मीदें थीं, लेकिन फिल्म उम्मीद से बढ़कर निकली है। बस इसे एक मौका दीजिए। शर्तिया यह आपको निराश नहीं करेगी।
क्यों न देखें?
वैसे फिल्म न देखने की कोई ठोस वजह है नहीं, लेकिन अगर आप सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों से परहेज करते हैं तो शायद यह आपकी कसौटी पर खरी न उतरे।
हमारी तरफ से इस फिल्म को 5 में से 4 स्टार।