शमशेरा रिव्यू: कमजोर स्क्रिप्ट, खराब निर्देशन को संभालती रही रणबीर की अदाकारी
क्या है खबर?
रणबीर कपूर और संजय दत्त की चर्चित फिल्म 'शमशेरा' 22 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई।
रिलीज से पहले फिल्म का खूब प्रचार किया गया। YRF की इस फिल्म का निर्देशन करण मल्होत्रा ने किया है।
ट्रेलर ने फिल्म के ऐक्शन और VFX की झलक पेश की और दिखाया कि यह आजादी के लिए लड़ रहे एक डकैत की कहानी है।
आइए, अब आपको बताते हैं आखिर कैसी है यह फिल्म।
कहानी
क्या है फिल्म की कहानी?
'शमशेरा' की कहानी 1871 में एक काल्पनिक शहर काजा पर आधारित है। काजा की खमेरन जाति गौरव और सम्मान के साथ जीना चाहती है।
शमशेरा के नेतृत्व में इस जाति के लोग उच्च जाति की प्रताड़ना से निकलना चाहते हैं, लेकिन उच्च जाति के साथ अंग्रेजों से उन्हें दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ती है।
अंग्रेज धोखे से शमशेरा को मार देते हैं और समूची जाति को कैद कर लेते हैं। शमशेरा का बेटा बल्ली इन्हें आजाद कराने का जिम्मा उठाता है।
भूमिका
बॉलीवुड के मसालों के साथ बांधी भूमिका
फिल्म का शुरुआती एक घंटा इसकी कहानी और सभी किरदारों को स्थापित करने में लगा दिया गया।
ड्रामा, ऐक्शन, कॉमेडी, इमोशन, ग्लैमर, म्यूजिक, इस एक घंटे में दर्शकों के सामने बॉलीवुड के सारे मसाले रख दिए गए।
सबकुछ एक साथ होने की वजह से इनमें कोई भी पूरी तरह से दर्शकों तक नहीं पहुंच पाया।
इस एक घंटे में संजय दत्त का अतंरगी अवतार, रणबीर का जाना-पहचाना अभिनय और वाणी कपूर का ग्लैमर देखने को मिलता है।
किरदार और अभिनय
रणबीर और संजय का अभिनय बना फिल्म की जान
रणबीर शमशेरा और बल्ली की भूमिका में हैं। शमशेरा एक निडर योद्धा है जो अपनी बिरादरी के लिए जान दे देता है। वहीं, बल्ली अपने पिता की छोड़ी हुई लड़ाई आगे बढ़ाता है।
शुद्ध सिंह के किरदार में एक बार फिर संजय का खलनायक अवतार देखने को मिला है। उनका किरदार दर्शकों को हंसाता भी है और डराता भी है।
वहीं, ऐसा लगता है वाणी कपूर को फिल्म में ग्लैमर डालने के लिए ही रखा गया है।
कमजोरी
कमजोर स्क्रिप्ट और निर्देशन तले दब गई अच्छी कहानी
फिल्म की कमजोर स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले ने एक अच्छी कहानी पर पानी फेर दिया। वहीं फिल्म खराब निर्देशन की भेंट चढ़ गई।
इतनी बार इतने ट्विस्ट लाए गए हैं कि यह बोझिल हो जाता है। फिल्म इतने हिस्सों में आगे बढ़ती है कि लगने लगता है आप अलग-अलग कहानियां देख रहे हैं।
फिल्म रोचक और रोमांचक हो सकती थी, लेकिन बार-बार आ रहे ट्विस्ट ने इसे खराब कर दिया। करीब तीन घंटे की यह फिल्म छोटी हो सकती थी।
चूक
और कहां हुई चूक?
कहानी 1871 की है, लेकिन इसके संवाद आजकल जैसे लगते हैं। इसका म्यूजिक मनोरंजक है, लेकिन इस प्लॉट पर फिट नहीं बैठता।
वाणी की बॉडी लैंग्वेज और कॉस्ट्यूम भी इस प्लॉट से काफी अलग हैं।
'फितूर' गाने की लोकेशन और कॉस्ट्यूम से लगता है जैसे आप कोई और ही फिल्म देखने लग गए।
फिल्म में 25 साल का लीप आता है, लेकिन 25 साल बाद शुद्ध सिंह और बल्ली की मां के लुक में कोई बदलाव नहीं किया गया।
मनोरंजन
ये है फिल्म की ताकत
फिल्म के सभी खामियों को रणबीर कपूर ने अपने अंदाज और अभिनय से संभाल लिया है। उनका अभिनय दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखता है।
फिल्म के सेट्स शानदार हैं। VFX को भी फिल्म की ताकत कहा जा सकता है।
फिल्म के ऐक्शन दृश्य अच्छे लगते हैं, लेकिन कुछ दृश्यों को ज्यादा लंबा बना दिया गया।
यह एक बॉलीवुड मसाला एंटरटेनर है। फिल्म म्यूजिक, डांस, ड्रामा और ऐक्शन से आपका मनोरंजन करती है।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें- रणबीर कपूर की अदाकारी देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपको खुश कर देगी। इसका म्यूजिक भी मनोरंजक है। बॉलीवुड मसाला एंटरटेनर फिल्में अच्छी लगती हैं, तो आप इस फिल्म को समय दे सकते हैं।
क्यों न देखें- ट्रेलर देखकर एक अच्छे पीरियड ड्रामा की उम्मीद है, तो इसे देखने न जाएं। यह एक ऐक्शन फिल्म जरूर है, लेकिन रोमांच की उम्मीद में हैं तो निराश होंगे।
न्यूजबाइट्स स्टार - 3