फिल्म 'ए थर्सडे' रिव्यू: यामी की उम्दा अदाकारी पर कहानी ने फेरा पानी
क्या है खबर?
जब से सस्पेंस थ्रिलर फिल्म 'ए थर्सडे' का ट्रेलर सामने आया था, इसे लेकर दर्शकों की उत्साह चरम पर था, वहीं फिल्म की लीड हीरोइन यामी गौतम की परफॉर्मेंस देखने को भी दर्शक बेताब थे।
आज यानी 17 फरवरी को आखिरकार यह फिल्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। बेहजाद खंबाटा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नेहा धूपिया, डिंपल कपाड़िया और अतुल कुलकर्णी भी नजर आए हैं।
आइए जानते हैं कैसी है फिल्म 'ए थर्सडे'।
कहानी
स्कूल टीचर के इर्द-गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी
इस फिल्म की पूरी कहानी एक स्कूल टीचर नैना जायसवाल के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने पति रोहित मीरचंदानी (करणवीर शर्मा) के साथ घर पर ही एक प्लेस्कूल चलाती है।
हमेशा की तरह वह एक रोज सभी पेरेंट्स को एक विश्वास के साथ घर वापस भेजती है। नैना बच्चों के साथ खेलती है, पढ़ती है।
बच्चों के साथ इतनी मासूमियत से बात करने वाली नैना अचानक उनके साथ बर्बरता से पेश आती है। उनका यह ट्रांसफॉर्मेशन देखने लायक है।
कहानी
पुलिस को अपने इशारों पर नचाती है नैना
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब नैना पुलिस स्टेशन फोन कर धमकी देती है कि उसने 16 बच्चों को बंधक बना लिया है और जब तक मुंबई पुलिस का सुपरकॉप अतुल कुलकर्णी उसकी मांगें पूरी नहीं करता, वह बच्चे नहीं छोड़ेगी।
वैसा-वैसा होता जाता है, जैसा-जैसा नैना चाहती है। नैना प्रधानमंत्री (डिंपल कपाड़िया) से मिलने की मांग भी करती है।
अब वह क्यों मासूम बच्चों की जिंदगी से खेल रही है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
एक्टिंग
यामी ने किया प्रभावित
अभिनय की बात करें तो यामी ने बहुत अच्छा काम किया है। उनके अब तक के लंबे अभिनय करियर में पहली बार उन्हें किसी फिल्म में इतनी सशक्त भूमिका में देखा गया है।
यामी ने अपने हाव-भाव से दिल जीत लिया है। वह अपने किरदार में उतर गई हैं। पूरी फिल्म यामी की ही है।
उन्होंने अपने किरदार की बारीकियों को बखूबी पकड़ा है, लेकिन पटकथा ने उनका साथ नहीं दिया। यामी का अभिनय अधपकी कहानी में उलझकर रह गया।
एक्टिंग
अन्य कलाकारों का अभिनय
फिल्म में दूसरे कलाकारों की परफॉर्मेंस की बात करें तो प्रेग्नेंट पुलिस अफसर के रूप में नेहा धूपिया ने ठीक काम किया है।
अतुल कुलकर्णी एक दमदार कलाकार हैं और उनकी प्रतिभा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्हें जो भूमिका सौंपी गई, हमेशा की तरह उन्होंने उसे पूरी शिद्दत से निभाया।
प्रधानमंत्री की भूमिका में डिंपल कपाड़िया ने भी अपनी मौजूदगी से प्रभावित किया है। एक्टिंग के मोर्च पर करणवीर शर्मा भी दर्शकों की कसौटी पर खरे उतरे हैं।
निर्देशन
औसत रहा फिल्म का निर्देशन
बेहजाद खंबाटा ने अपनी इस फिल्म के जरिए एक सामाजिक संदेश जरूर दिया, लेकिन सिस्टम को चोट करने की उनकी बनावटी कोशिश ने काम खराब कर दिया।
उन्होंने एक मजबूत मुद्दे की नींव ठीक से नहीं रखी। फिल्म की शुरुआत तो अच्छी है, लेकिन जैसे-जैसे यह आगे बढ़ती है, इसकी कहानी बिखर जाती है।
जिस तार ने कहानी को बांधे रखा था, वह पहले ही खुल जाता है। लिहाजा स्टोरी में आगे देखने के लिए कुछ खास बचता नहीं है।
कमियां
ये हैं फिल्म की खामियां
फिल्म यूं तो सस्पेंस थ्रिलर है, लेकिन इसमें रोमांच का तड़का कम ही लगाया गया है। दरअसल, फिल्म का विषय संवेदनशील है, जिसने सस्पेंस का मजा किरकिरा कर दिया है, खासकर सेकेंड हाफ में।
रोमांच पैदा करने के लिए बार-बार दिखाए गए क्लोजअप शॉट्स अखरते हैं। सिनेमैटोग्राफी कुछ खास नहीं है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अहम हिस्सा होता है, जो इसमें कमतर रह गया है।
कमजोर पटकथा और निर्देशन के चलते फिल्म भानवात्मक रूप से दर्शकों से जुड़ नहीं पाती।
निष्कर्ष
देखें या ना देखें?
'ए थर्सडे' एक टाइमपास सस्पेंस थ्रिलर है। अब अगर आप यामी के फैन हैं और उनका एक अलग अवतार देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।
कहानी भले ही प्रभावी नहीं है, लेकिन इसने एक गंभीर मुद्दे को छुआ है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक इंसान सिस्टम को अपने हाथ में लेकर उसे सुधारने की कोशिश करता है। महिला प्रधान फिल्मों के शौकीनों को यह बेशक पसंद आएगी।
हमारी तरफ से 'ए थर्सडे' को दो स्टार।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
यह फिल्म 'ए वेडनेसडे' की याद दिलाती है, जिसमें सिस्टम के कानों में जमी मैल निकालने का काम नसीरुद्दीन शाह ने एक बहुमंजिला इमारत पर बैठकर सन्नाटे में किया, वहीं यामी ने यह काम 'ए थर्सडे' में नन्हे-मुन्नों के एक स्कूल में किया है।