
फिल्म 'जलसा' रिव्यू: विद्या और शेफाली की लाजवाब अदाकारी ने आखिर तक थामे रखी डोर
क्या है खबर?
क्राइम ड्रामा फिल्म 'जलसा' आज यानी 18 मार्च को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। फिल्म में विद्या बालन और शेफाली शाह मुख्य भूमिका में हैं।
रोहिणी हट्टंगड़ी, सूर्या कासिभाटला, मोहम्मद इकबाल खान, मानव कौल और विधात्री बंदी भी इस फिल्म का हिस्सा हैं। सुरेश त्रिवेणी ने फिल्म के निर्देशन की कमान संभाली है। प्रज्ज्वल चंद्रशेखर, सुरेश त्रिवेणी, हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने मिलकर इस फिल्म की कहानी लिखी है।
फिल्म देखने से पहले पढ़िए इसका रिव्यू।
कहानी
विद्या और शेफाली के इर्द-गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी
फिल्म में विद्या, माया मेनन नाम की एक ईमानदार पत्रकार बनी हैं, जो सिर्फ और सिर्फ सच की वकालत करती है, वहीं शेफाली ने रुखसाना मोहम्मद नाम की महिला का किरदार निभाया है, जो माया के घर खाना बनाने का काम करती है और माया के बच्चे का भी पूरा ध्यान रखती है।
माया और रुखसाना का रिश्ता परिवार जैसा है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब माया की कार से एक लड़की हादसे का शिकार हो जाती है।
कहानी
दो अलग-अलग छोर पर खड़े हो जाते हैं फिल्म के मुख्य किरदार
जब माया को पता चलता है कि जिस लड़की का एक्सिडेंट हुआ है, वह रुख्साना की बेटी आलिया है तो उसके होश उड़ जाते हैं।
आलिया की जान बचाने के लिए माया क्या कुछ करती हैं, इसी बीच एक के बाद कई कहानियां जुड़ती हैं। कहानी तब और दिलचस्प हो जाती है, जब रुख्साना को पता चलता है कि माया ही असली अपराधी है।
अब रुख्साना, माया से बदला लेगी या नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय
अपने किरदार में रच-बस गए कलाकार
फिल्म की कहानी भले ही उतनी दमदार ना हो, लेकिन किरदार कमाल के हैं। विद्या और शेफाली अपने-अपने किरदार में अव्वल हैं।
विद्या ने जहां एक प्रतिष्ठित पत्रकार के रूप में बेहतरीन अदाकारी का नमूना पेश किया है, वहीं शेफाली ने हेल्पर की भूमिका में कुछ इस तरह खुद को ढाला है कि आप उनकी तारीफ किए बिना नहीं रहेंगे।
रोहिणी हट्टंगड़ी, विधात्री बंदी, इकबाल खान, मानव कौल, सूर्या कसीभटला और शफीन पटेल ने भी गजब का अभिनय किया है।
निर्देशन
फिल्म के निर्देशक पास या फेल?
निर्देशन के मोर्चे पर बात करें तो सुरेश त्रिवेणी ने मानव कौल को छोड़ हर कलाकार को फिल्म में पूरा स्कोप दिया है। उन्होंने बड़ी संजीदगी से कहानी संभाली है।
फिल्म में ट्विस्ट भी खूब हैं। निर्देशक ने कहानी को कुछ इस तरह पिरोया है कि हर कहानी से दूसरी नई कहानी जुड़ी होती है।
हालांकि, क्लाइमैक्स तक आते-आते यह ढीली पड़ जाती है, लेकिन विद्या और शेफाली की शानदार अदाकारी के तंबू ने कहानी अंत तक ताने रखी है।
खामियां
यहां रह गईं कमियां
फिल्म के निर्देशन में बेहतरी की थोड़ी गुंजाइश थी। अंत में कहानी का मजा किरकिरा हो जाता है। ऊंचाई पर ले जाते जाते यह सीधे नीचे धकेल देती है।
कहानी एक हादसे पर बुनी गई है। हादसा ही इसका केंद्र है, जो यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि इसमें जलसा कहां है?
फिल्म में कंटेंट पर ज्यादा फोकस कर मनोरंजन को दरकिनार किया गया है। लिहाजा सिनेमा का मतलब 'एंटरटनेमेंट एंटरटनेमेंट एंटरटेनमेंट' वाली बात इसमें नहीं दिखती।
निष्कर्ष
देखें या ना देखें?
यह एक पारिवारिक फिल्म है और होली की छुट्टी में यह आपका बढ़िया टाइमपास करेगी। विद्या और शेफाली इस फिल्म की जान हैं।
अगर आप इन दोनों अभिनेत्रियों के फैन हैं तो बेशक यह फिल्म आपका दिन बना देगी। कहानी के लिए नहीं तो फिल्म की मजबूत स्टारकास्ट के लिए आप 'जलसा' जरूर देखें। इमोशनल टच के साथ इस क्राइम ड्रामा को जिस तरह से पेश किया गया है, वो देखने लायक है।
हमारी तरफ से 'जलसा' को 3.5 स्टार।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
आज अक्षय कुमार की फिल्म 'बच्चन पांडे' भी रिलीज हो गई है। हालांकि, फिल्म OTT पर नहीं, बल्कि सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। फैंस ने उनकी इस फिल्म को पैसा वसूल बताया है, वहीं समीक्षकों के मुताबिक भी यह फिल्म मनोरंजन का फुल डोज है।