#NewsBytesExplainer: बड़ी फिल्में फ्लॉप होने के बावजूद कैसे करती हैं करोड़ों की कमाई? जानिए पूरा गणित
क्या है खबर?
'पठान' से पहले बॉलीवुड में आईं कई बड़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हो गईं। 'लाल सिंह चड्ढा' से लेकर 'शमशेरा', 'रक्षाबंधन', 'सेल्फी' और 'सम्राट पृथ्वीराज' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं मांगा।
क्या आप जानते हैं कि बड़े बजट की फिल्में नहीं चलतीं तो नुकसान असल में किसे होता है? इससे आमतौर पर निर्माता प्रभावित नहीं होते हैं।
फ्लॉप फिल्में किस-किस तरह से कमाई करती हैं, आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ।
जरिया
बॉक्स ऑफिस के अलावा कहां से होती है कमाई?
जाहिर है निर्माता फिल्म पर पैसे लगाते हैं तो नुकसान भी उन्हीं के खाते में जाएगा, लेकिन बड़ी फिल्मों की असफलता का खामियाजा अक्सर निर्माताओं को नहीं भुगतना पड़ता।
दरअसल, निर्माता रिलीज से पहले ही अपनी कमाई म्यूजिक राइट्स, OTT प्लेटफॉर्म राइट्स, सैटेलाइट राइट्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स राइट्स को बेचकर कर लेते हैं।
राइट्स बेचने के बाद निर्माता को अच्छी-खासी रकम मिल जाती है। अब अगर फिल्म फ्लॉप हो गई तो डिस्ट्रीब्यूटर या किसी को भी कोई पैसा वापस नहीं मिलता।
घाटा
फिल्म के पिटने पर किसे होता है नुकसान?
ट्रेड पंडितों के मुताबिक, बड़ी फिल्मों के मामले में निर्माताओं को अमूमन नुकसान नहीं झेलना पड़ता। घाटा उस स्थिति में होता है, जब प्रोडक्शन हाउस की खुद की डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी भी हो।
अगर निर्माता खुद अपनी फिल्मों का डिस्ट्रीब्यूशन नहीं करते तो फिल्म के फ्लॉप होने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
नुकसान डिजिटल राइट्स खरीदने वाले, सैटेलाइट्स राइट खरीदने वाले और ड्रिस्टीब्यूटर्स को होता है, जिन्हें राइट्स बेचकर निर्माता पहले ही अपनी फिल्म की लागत निकाल लेते हैं।
जानकारी
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए अगर एक निर्माता अपनी फिल्म के राइट्स डिस्ट्रीब्यूटर को 25 करोड़ रुपये में बेचता है और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर महज 10 करोड़ रुपये की कमाई करती है तो 15 करोड़ रुपये का नुकसान डिस्ट्रीब्यूटर का ही होगा। इसमें निर्माता भागीदार नहीं होगा।
मापदंड
किस आधार पर फिल्में खरीदते हैं डिस्ट्रीब्यूटर?
फिल्म को रिलीज से पहले डिस्ट्रीब्यूटर को दिखाया जाता है। इसके बाद ही डिस्ट्रीब्यूटर तय करता है कि उसके लिए वह कितनी रकम अदा कर सकता है।
डिस्ट्रीब्यूटर को फिल्म ज्यादा पसंद आती है तो वह ज्यादा पैसे चुकाने से भी परहेज नहीं करता। इसके अलावा डिस्ट्रीब्यूटर प्रोडक्शन हाउस, प्रोड्यूसर कौन है, ये सारी चीजें भी देखकर फिल्मों को खरीदता है।
हालांकि, 'पठान' से पहले आईं कई बड़ी प्रोडक्शन कंपनियों की फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर फेल हो गईं।
कमाई
फिल्म न चलने पर डिस्ट्रीब्यूटर्स को लगता है धक्का
यशराज फिल्म्स की 'जयेशभाई जोरदार' हो या 'शमशेरा', ये दाेनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रहीं, लेकिन रिलीज से पहले ही यशराज बैनर ने पहले हुई बिक्री की मदद से काफी हद तक नुकसान की भरपाई कर ली।
एक तरफ जहां रिलीज से पहले करोड़ो रुपये में फिल्म के राइट्स बेचकर मुनाफा भी कमा लिया जाता है, वहीं फिल्म के न चलने से डिस्ट्रीब्यूटर को बड़ा धक्का लगता है, क्योंकि उसने इसके लिए बड़ी रकम अदा की होती है।
गेम
OTT प्लेटफॉर्म भी हो गए हैं सतर्क
पहले OTT प्लेटफॉर्म जैसे अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, डिज्नी+हॉटस्टार से निर्माता अपने निवेश की रकम निकाल लेते थे क्योंकि, बड़े बजट की फिल्मों को OTT पर दिखाने की होड़ होती थी, लेकिन अब जबकि ये फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर घुटने टेक रही हैं तो OTT भी सतर्कता बरत रहे हैं और सूझ-बूझ से कदम बढ़ा रहे हैं।
स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पहले सिनेमाघरों में फिल्म की परफॉर्मेंस देखते हैं और फिर उस हिसाब से उनके लिए बजट तय करते हैं।
माध्यम
सैटेलाइट राइट्स और म्यूजिक राइट्स
सैटेलाइट राइट्स जैसे स्टार गोल्ड, सेट मैक्स पर फिल्मों को बेचकर भी कमाई की जाती है।
फिल्मों के म्यूजिक राइट्स बेचकर भी बढ़िया कमाई की जाती है। बड़े बजट की फिल्मों के लिए अलग-अलग संगीत कंपनियां लाइन में रहती हैं।
जो कंपनी गानों के लिए निर्माता को ज्यादा पैसाें का प्रस्ताव देती है, उसे ही फिल्म के गाने और कंपोजिशन के राइट्स दिए जाते हैं। गानों के जितने ज्यादा व्यूज आते हैं, म्यूजिक कंपनी को उतना ही फायदा होता है।
फायदा
ब्रांड स्पॉन्सर के जरिए मुनाफा
आपने शायद गौर किया होगा कि कई बार फिल्म में किसी बड़ी कंपनी के शोरूम या उसके नाम या लोगो को दिखाया जाता है। इसके लिए निर्माता कंपनियों से करोड़ों रुपये लेते हैं और इसस भी फिल्म को फायदा पहुंचता है।
स्पॉन्सर वो लोग होते हैं, जो फिल्म में अपना प्रमोशन करने के लिए पैसा लगाते हैं।
कई बार फिल्म के बीच में विज्ञापन चलता दिखाई देता है, वह स्पॉन्सर के प्रमोशन का ही हिस्सा होता है।
मुनाफा
फिल्म से हुई ज्यादा कमाई का लाभ किसे होता है?
जब फिल्में निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर के बीच हुए एग्रीमेंट से तय कीमत से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं, तो उस कमाई को ओवर फ्लो कहते हैं। इस ओवर फ्लो की कमाई का कुछ हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटर के अलावा निर्माता को भी जाता है।
कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी निर्माता की होगी, ये एग्रीमेंट में पहले से ही लिखा होता है। 'RRR' और 'पठान' जैसी फिल्मों ने न सिर्फ डिस्ट्रीब्यूटर्स, बल्कि निर्माताओं को भी खूब फायदा हुआ है।