तमिलनाडु: NEET-SS में 50 प्रतिशत कोटा लागू करने के मामले में सरकार को मिली राहत
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडू सरकार को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में 50 प्रतिशत सीटें सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को आवंटित किए जाने के मामले में छूट दे दी है।
यह मामला साल 2020 के एक सरकारी आदेश के बाद शीर्ष अदालत में लंबे समय से विचाराधीन था।
अब जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 15 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कही 15 दिन में सीटें भरने की बात
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी, 2023 के लिए निर्धारित करते हुए कहा कि खाली सीटों को अखिल भारतीय योग्यता सूची के आधार पर भारत संघ द्वारा भरने की अनुमति दी जाएगी। ऐसे में तमिलनाडु सरकार 15 दिन में कोटे की 50 प्रतिशत सीटें भर सकती हैं।
इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 2016 से सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में आरक्षण नहीं है, लेकिन कोर्ट ने उसे रिकॉर्ड पर नहीं लिया।
पृष्ठभूमि
क्या है NEET-SS में आरक्षण का मामला?
तमिलनाडु सरकार ने 7 नवंबर, 2020 को एक आदेश जारी कर राज्य के सेवारत सरकारी डाक्टरों के लिए सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की घोषणा की थी।
उसके बाद राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा सुपर स्पेशियलिटी (NEET-SS) 2021 की परीक्षा में भाग लेने वाले कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दाखिल कर दी।
कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय, तमिलनाडु सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
दावा
याचिकाकर्ताओं ने क्या दी थी दलील?
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में दावा किया था कि तमिलनाडु सरकार का वह फैसला संविधान के अनुच्छेद-14 का स्पष्ट उल्लंघन कर रहा है। यह कानून के विपरीत एक अनुचित वर्गीकरण बनाता है।
इसी तरह यह भी दावा किया गया था कि उम्मीदवारों ने सूचना बुलेटिन के अनुसार यह परीक्षा दी है और उसमें इस तरह के आरक्षण का कोई विशेष प्रावधान शामिल नहीं है। इसके लागू होने से हजारों छात्रों को प्रवेश से वंचित होना पड़ेगा।
बचाव
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार का क्या रहा तर्क?
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने खंडपीठ को बताया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के लिए आवश्यक इन-सर्विस उम्मीदवारों को 50 प्रतिशत सीटें आवंटित करने से उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा तक पहुंचना आसान होगा।
इसी तरह राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों के निवासियों के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया जा सकेगा। हालांकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल ने इस बात पर जोर दिया कि सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में इस तरह की आरक्षण नीति कभी नहीं रही।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को भी दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सेवारत उम्मीदवारों को 50 प्रतिशत सुपर-स्पेशियलिटी सीटें आवंटित करने के लिए 2021-22 के लिए काउंसलिंग जारी रखने की अनुमति दी थी।
इसके अलावा 27 नवंबर, 2020 के अपने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें उसने निर्देश दिया था कि शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 के लिए सुपर-स्पेशियलिटी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग इन-सर्विस डॉक्टरों को 50 प्रतिशत कोटा नहीं दिया जाएगा।