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ISRO-नासा का NISAR सैटेलाइट किसानों के लिए कैसे होगा लाभकारी?
NISAR सैटेलाइट किसानों के लिए लाभकारी होगा (तस्वीर: ISRO)

ISRO-नासा का NISAR सैटेलाइट किसानों के लिए कैसे होगा लाभकारी?

Jul 30, 2025
05:54 pm

क्या है खबर?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज (30 जुलाई) नासा के साथ मिलकर नासा-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन को लॉन्च कर दिया है। यह सैटेलाइट धरती की सतह, जलवायु और प्राकृतिक बदलावों की निगरानी करेगा। NISAR अब तक का सबसे उन्नत रडार इमेजिंग सैटेलाइट माना जा रहा है, जिसे दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने मिलकर करीब 10 साल में तैयार किया है। यह मिशन भारत और अमेरिका के अंतरिक्ष सहयोग का अहम पड़ाव साबित होगा।

खासियत

NISAR की तकनीक और खासियत

NISAR में 2 एडवांस रडार सिस्टम लगे हैं, जिसमें नासा का L-बैंड और ISRO का S-बैंड रडार शामिल हैं। ये सिस्टम दिन और रात, बादलों और बारिश के दौरान भी साफ तस्वीरें भेज सकते हैं। इससे भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, हिमनदों की गति, वन कटाव और समुद्री बदलावों की लगातार निगरानी संभव होगी। यह सैटेलाइट हर 12 दिन में धरती का 2 बार चक्कर लगाएगा और वैज्ञानिकों को हाई-क्वालिटी डाटा देगा, जिससे पर्यावरणीय बदलावों की बेहतर समझ बनेगी।

लाभ

किसानों के लिए कैसे लाभकारी होगा यह सैटेलाइट?

NISAR मिशन से भारतीय किसानों को भी बड़ा फायदा होगा। यह सैटेलाइट मिट्टी की नमी, फसलों की स्थिति और कृषि भूमि के बदलाव पर नियमित नजर रखेगा। इसके जरिए वैज्ञानिक समय रहते फसल से जुड़ी सलाह दे सकेंगे। इसके साथ ही यह तकनीक खाद, पानी और बीजों की सही योजना बनाने में मदद करेगी। जलवायु की अनिश्चितता के समय में यह डाटा किसानों को उत्पादन बढ़ाने और प्राकृतिक आपदाओं से समय पर सतर्क रहने में मदद करेगा।

 भविष्य 

वैश्विक असर और भविष्य की दिशा

NISAR का डाटा न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक, सरकारें और पर्यावरण संगठन इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे शहरी विकास, समुद्र-स्तर में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन पर निगरानी आसान होगी। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं और तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करता है। ISRO द्वारा इस्तेमाल किया गया क्रायोजेनिक इंजन पूरी तरह स्वदेशी है, जो भारत की उच्च तकनीक विकास यात्रा में एक और बड़ा कदम है।