NCERT ने 12वीं की किताब से हटाया गुजरात दंगों का चैप्टर
कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए और बच्चों पर पढाई का बोझ कम करने को लेकर कदम उठाते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपनी 12वीं की राजनीति विज्ञान की किताब में से गुजरात दंगों का चैप्टर हटा दिया है। चैप्टर हटाने को लेकर NCERT ने कई कारण बताए है, जिसमें से एक कारण कोरोना महामारी को भी बताया गया है। आइए जानते है NCERT ने और किस-किस चैप्टर को अपनी किताब से हटाया है।
चैप्टर में क्या लिखा हुआ था?
NCERT ने गुजरात दंगों से जुड़े पेज नंबर 187-189 को अपनी किताब से हटा दिया है। इस चैप्टर के एक पैराग्राफ में लिखा था, "गुजरात दंगों से पता चलता है कि सरकारी तंत्र भी सांप्रदायिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है, यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए खतरा पैदा करता है।" इस चैप्टर में वह बयान भी शामिल था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को राज धर्म का पालन करने की सलाह दी थी ।
पाठ्यक्रम को किया गया 30 प्रतिशत तक कम
NCERT ने गुजरात दंगों के अलावा किताब से नक्सली आंदोलन का इतिहास पेज 105, आपातकाल के दौरान का विवाद पेज 113-117, शीत युद्ध और मुगल अदालतों के संदर्भों को भी कक्षा 12 की किताब से हटा दिया है। वहीं NCERT ने कक्षा 11 की किताब से औद्योगिक क्रांति और केंद्रीय इस्लामी भूमि के चैप्टर को हटा दिया है। NCERT ने बताया इस शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्यक्रम को लगभग 30 प्रतिशत कम कर दिया गया है।
महामारी के कारण छात्रों के पढ़ाई का बोझ कम करना जरुरी-NCERT
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, NCERT ने अपने जारी किए नोट में कहा कि किताबों से सिर्फ उन चैप्टरों को हटाया गया है जो एक ही कक्षा के अन्य विषयों में भी शामिल है। साथ ही उन चैप्टरों को भी हटाया गया है जो वर्तमान समय में अप्रासंगिक है। NCERT ने कहा, महामारी को देखते हुए छात्रों के सर से पढ़ाई का बोझ कम करना जरुरी है। शिक्षा नीति भी इस बात पर जोर देती है।
क्या है गुजरात दंगा ?
साल 2002 में अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे में आग लगा दी गई, जिसमें करीब 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात के अलग-अलग इलाकों में हिंदू और मुसलमान में टकराव हुए इन दंगों में कुल 1,044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गुजरात के दंगों के मामले में 450 से ज़्यादा लोगों को कोर्ट ने दोषी ठहराया है, जिसमें 350 हिंदू और 100 मुसलमान हैं।