कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों ने प्राइवेट छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया- सर्वे
क्या है खबर?
बुधवार को जारी नवीनतम वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट (ASER) के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों ने कोविड-19 महामारी के बीच प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश और केरल के सरकारी स्कूलों में होने वाले दाखिलों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है।
ASER द्वारा जारी यह रिपोर्ट 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किये गए सर्वेक्षण पर आधारित है।
सैंपल साइज
इस सर्वे का सैंपल साइज कितना है?
गैर-लाभकारी संस्था प्रथम द्वारा जारी रिपोर्ट का 16वां संस्करण सितंबर और अक्टूबर के बीच 25 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 581 जिलों के 17,814 गांवों के 76,606 घरों पर किया गया है।
इस सर्वे रिपोर्ट के लिए केंद्र के ऐसे 4,872 स्कूलों तक पहुंचा गया, जो फिर से खुल गए हैं। वहीं अभी भी बंद 2,427 स्कूल के अधिकारियों के प्रिंसिपल और शिक्षकों को फोन के माध्यम से संपर्क किया गया था।
नामांकन
सरकारी स्कूलों में नामांकन में 6% की वृद्धि हुई
ASER सर्वे के अनुसार 2018 से 2021 के बीच सरकारी स्कूलों के नामांकन में लगभग 6% की वृद्धि हुई है।
वहीं, 2021 में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़कर 70.3% हो गया, जिसका मतलब यह है कि देशभर में पिछले एक साल में सरकारी स्कूलों में नामांकन में 4.5% की वृ्द्धि हुई है।
दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूलों में नामांकन 2020 में 28.8% से घटकर इस साल 24.4% रह गया है।
अधिक
सबसे अधिक नामांकन उत्तर प्रदेश और केरल से
ASER सर्वे द्वारा जारी किय गए सर्वे के मुताबिक अगर राज्यवार नामांकन की बात करें तो उत्तर प्रदेश और केरल में सरकारी स्कूलों में नामांकन में 2018 और 2021 के बीच अधिकतम वृद्धि क्रमश: 13.2 और 11.9 फीसदी हुई।
इसी दौरान तेलंगाना में सरकारी स्कूलों में नामांकन में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में इसी दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में मामूली वृद्धि हुई।
आयु
सरकारी स्कूलों में नामांकन सभी आयु वर्गों में बढ़ा
ASER सर्वे से पता चलता है कि सरकारी स्कूलों में नामांकन सभी आयु वर्गों में बढ़ा है, लेकिन सबसे अधिक वृद्धि युवा छात्रों में दर्ज की गई है।
2020-21 में कक्षा 1 और 2 के लिए सरकारी स्कूलों में लड़कों का नामांकन 10.9 फीसदी बढ़ा, जबकि लड़कियों का नामांकन 7.4 फीसदी बढ़ा।
उसी अवधि के दौरान कक्षा 6 से 8 के लिए सरकारी स्कूलों में लड़कों के नामांकन में 5.1% और लड़कियों के नामांकन में 2.2% की वृद्धि हुई।
स्कूल
सरकारी स्कूलों में लड़कों से ज्यादा लड़कियों का हुआ नामांकन
कोविड के पहले सरकारी स्कूलों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यह समय के साथ जारी है।
सर्वे के अनुसार सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों समेत कुल 52% लोगों ने इसके पीछे कोरोना वायरस के कारण उपजे वित्तीय संकट को जिम्मेदार बताया। वहीं, 50% ने इसके पीछे सरकारी स्कूलों में मुफ्त मिलने वाली सुविधाओं को वजह बताया।
40% लोगों ने प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन कक्षा आयोजित न करा पाने को वजह बताया।
तुलना
सरकारी स्कूलों के बच्चों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों के बच्चों के पास हैं अधिक स्मार्टफोन
रिपोर्ट के अनुसार स्मार्टफोन की उपलब्धता से यह जरूरी नहीं कि स्कूली शिक्षा तक पहुंच में तब्दील हो।
रिपोर्ट के अनुसार दो तिहाई से अधिक बच्चों के पास घर पर स्मार्टफोन (67.6%) है, उनमें से एक चौथाई (26.1%) के पास इसकी पहुंच नहीं है।
स्मार्टफोन की उपलब्धता 2018 में 36.5% से बढ़कर 2021 में 67.6% हो गई, वहीं सरकारी स्कूलों के बच्चों (63.7%) की तुलना में प्राइवेट स्कूलों में अधिक बच्चों (79%) के पास घर पर स्मार्टफोन है।