अगले साल मंदी की चपेट में आ सकती है दुनिया, विश्व बैंक ने जताई चिंता
विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में महंगाई को थामने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों द्वारा बढ़ाई जा रही ब्याज दरों सहित अन्य कारणों के चलते दुनिया के 2023 में आर्थिक मंदी की चपेट में आने की आशंका जताई है। इसके साथ ही विश्व बैंक ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए उत्पादन को बढ़ावा देने और आपूर्ति बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया गया है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी मंदी की आशंका जता चुका है।
दुनिया की तीनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर में आ रही गिरावट
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया की तीनों बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका, चीन और यूरोपीय क्षेत्र की विकास दर में तेजी से गिरावट आ रही है। ऐसे में अगले साल वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्तमान में साल 1970 की मंदी के बाद सबसे धीमी गति बढ़ रही है। इसी तरह पहले की मंदी की तुलना में वर्तमान में उपभोक्ता का विश्वास भी काफी कम है।
चार प्रतिशत पर पहुंच सकती है वैश्विक ब्याज दर
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों द्वारा वैश्विक ब्याज दर में वृद्धि चार प्रतिशत तक पहुंच सकती है, जो 2021 से दोगुनी है। अमेरिका से लेकर यूरोप और भारत तक के केंद्रीय बैंक ब्याज दर में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इसका मकसद मुद्रास्फीति को कंट्रोल करना है। हालांकि, यह निवेश को कम करता है और इसका विकास की रफ्तार पर भी असर पड़ता है। इसी तरह नौकरियों के अवसर भी काफी हद तक कम हो जाते है।
सुस्त हो रही है वैश्विक विकास की रफ्तार- मलपास
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा कि वैश्विक विकास की रफ्तार तेजी से धीमी हो रही है और आगे भी इसके धीमे बने रहने की आशंका है। मेरी गहरी चिंता यह है कि ये रुझान लंबे समय तक बने रह सकते हैं, जो उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए विनाशकारी हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को कम करने के लिए उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ आपूर्ति बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
संभावित आर्थिक मंदी के क्या बताए जा रहे हैं कारण
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया कई अलग-अलग वजह से रिकॉर्ड महंगाई का सामना कर रही है। यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से खाद्य आपूर्ति में कमी आई है। वहीं, सप्लाई चेन पर कोरोना महामारी का प्रभाव भी पड़ा है। इसके अलावा खराब मौसम से कृषि उत्पादन भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसी तरह दुनियाभर के देश महंगाई थामने के लिए ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, लेकिन महंगाई काबू में नहीं आ रही और विकास दर प्रभावित हो रही है।
भारत में क्या है स्थिति?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अगस्त में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी का ऐलान किया था। उसके साथ ही रेपो रेट बढ़कर 5.40 प्रतिशत हो गई है। इससे लोगों को बैंक से कर्ज लेना महंगा हो गया है। इसी तरह RBI ने 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति के 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खुदरा महंगाई दर 6.71 प्रतिशत थी, जो अगस्त में बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच गई है।