मंदी के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था, सरकार को तुरंत कदम उठाने की जरूरत- IMF
भारत की अर्थव्यवस्था भयंकर मंदी के दौर से गुजर रही है। अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत सरकार से जल्द कदम उठाने की मांग की है। IMF ने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण आर्थिक मंदी के घेरे में है और इसकी विकास दर का वैश्विक स्तर पर असर पड़ता है, इसलिए सरकार को मंदी रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
क्या है भारत की विकास दर?
भारतीय अर्थव्यवस्था को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही बड़ा झटका लगा था। इस तिमाही में भारत की विकास दर बड़ी गिरावट के साथ 4.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। इससे पहले 2013 में GDP की विकास दर इस स्तर पर थी।
लाखों लोगों को गरीबी से बाहर करने के बाद मंदी में भारत- रिपोर्ट
IMF के एशिया हेड रानिल सालगाडो ने कहा कि लाखों को गरीबी से बाहर लाने के बाद भारत अब आर्थिक सुस्ती के बीच है। मंदी को दूर करने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भारत को तुरंत नीतिगत उपाय करने की जरूरत है। हालांकि सरकार के पास विकास पर खर्च के जरिए बढ़ावा देने के लिए सीमित विकल्प हैं। हाल के वर्षों में भारत की उच्च विकास दर से औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में मेल-जोल नहीं बढ़ा।
IMF ने क्या बताई मंदी की वजह?
IMF ने अपनी वार्षिक समीक्षा में कहा कि खपत और निवेश में गिरावट और कर राजस्व में आई कमी ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक पर ब्रेक लगाने का काम किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि खपत और निवेश की गिरावट ने भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को धीमा कर दिया है। इसके मुताबिक, अपेक्षाकृत कम खाद्य कीमतों ने 'ग्रामीण संकट' में भूमिका निभाई है।
जनवरी में नई रिपोर्ट जारी करेगा IMF
IMF की मुख्य अर्थशास्त्री और भारत में जन्मीं गीता गोपीनाथ ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 की दिसंबर और मार्च तिमाही में भी आर्थिक वृद्धि कमजोर बनी रहेगी। उन्होंने कहा पहले इन दो तिमाहियों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन अब ऐसा नजर नहीं आ रहा। मौजूदा हालातों को देखते पुराने अनुमान बदलने पड़े हैं। IMF जनवरी में भारत पर नई रिपोर्ट जारी करेगा। उन्होंने कहा था कि इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े आ सकते हैं।
अर्थव्यवस्था में लगातार जारी है गिरावट का दौर
देश की विकास दर में लगातार गिरावट का दौर जारी है। सितंबर में लगातार छठी तिमाही में विकास दर गिरी है। इससे पहले वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में विकास दर आठ फीसदी, दूसरी तिमाही में सात फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर थी। वहीं वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में जीडीपी गिरकर पांच फीसदी पर आ गई थी।