बजट 2024: इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं, पुरानी टैक्स मांगों को लिया जाएगा वापस
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में अंतरिम बजट पेश किया। लोकसभा चुनाव को देखते हुए बजट में इनकम टैक्स में कुछ राहत की उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्री ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया और पुराने टैक्स स्लैब बने रहेंगे। हालांकि, उन्होंने इनकम टैक्स से संबंधित पुरानी मांग को खत्म करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान कर दी गई है और रिफंड भी जल्द जारी किया जाता है।
अभी इनकम टैक्स की क्या व्यवस्था है?
अभी इनकम टैक्स के लिए दो टैक्स व्यवस्थाएं हैं। एक पुरानी और दूसरी नई, जिसे 2020 में लाया गया था। पुरानी व्यवस्था में टैक्स स्लैब और टैक्स की दरें नई व्यवस्था से अलग हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार इन दोनों में से कोई भी एक व्यवस्था चुन सकता है और उसे उसी के हिसाब से टैक्स देना होगा। हालांकि, नई व्यवस्था में जाने के बाद केवल एक बार पुरानी व्यवस्था में वापस आया जा सकता है।
पुरानी टैक्स व्यवस्था में क्या है?
पुरानी व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है। 2.5 लाख से 5 लाख रुपये की सालान आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। हालांकि, 5 लाख रुपये तक की आय वाले लोग आयकर (IT) अधिनियम की धारा 87A के तहत ₹12,500 की छूट का दावा कर सकते हैं, यानी उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होता। इसके बाद 5 से 10 लाख आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से ऊपर आय पर 30 प्रतिशत टैक्स है।
नई टैक्स व्यवस्था में क्या है?
नई व्यवस्था में 5 टैक्स स्लैब हैं। इसमें 7 लाख पर कोई टैक्स नहीं है और 50,000 रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ अलग से मिलता है, इसलिए 7.5 लाख की आय टैक्स फ्री है। इससे अधिक होने पर 3-6 लाख की आय पर 5 प्रतिशत, 6-9 लाख की आय पर 10 प्रतिशत, 9-12 लाख की आय पर 15 प्रतिशत, 12-15 लाख की आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
कौन से लोगों को चुननी चाहिए पुरानी टैक्स व्यवस्था?
अगर आपकी सालाना आय सात लाख रुपये से अधिक है तो आपको दोनों व्यवस्थाओं में तुलना करके अपना विकल्प चुनना चाहिए। नई व्यवस्था में टैक्स की दरें कम हैं, लेकिन उसमें छूट नहीं मिलेगी। इसके विपरीत पुरानी व्यवस्था में टैक्स दर अधिक है, लेकिन उसमें आप 70 से अधिक छूट प्राप्त कर सकते हैं। पहले से ही होम लोन और घर का किराया दे रहे लोगों के लिए पुरानी व्यवस्था बेहतर साबित हो सकती है।
25,000 रुपये तक की टैक्स मांगों को लिया जाएगा वापस
सीतारमण ने बजट में पुरानी टैक्स मांग को खत्म करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि 1962 से 2009-10 की 25,000 रुपये तक की पुरानी टैक्स मांगों को वापस लिया जाएगा। इसके अलावा 2010-11 से 2014-15 के बीच की 10,000 रुपये तक की टैक्स मांगों को वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे एक करोड़ करदाताओं को लाभ होने की उम्मीद है। टैक्स मांग का मतलब लोगों पर बकाया टैक्स से है, जो उन्हें चुकाना है।