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अनिल अंबानी के ठिकानों पर क्यों पड़े ED के छापे, क्या है 3,000 करोड़ का घोटाला?
ED ने अनिल अंबानी से जुड़े कई ठिकानों पर छापे मारे हैं

अनिल अंबानी के ठिकानों पर क्यों पड़े ED के छापे, क्या है 3,000 करोड़ का घोटाला?

लेखन आबिद खान
Jul 24, 2025
07:42 pm

क्या है खबर?

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस समूह से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर आज छापा मारा है। दिल्ली और मुंबई समेत कई जगहों पर समूह की करीब 50 कंपनियों पर कार्रवाई हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये छापेमारी 3,000 करोड़ रुपये के संदिग्ध लोन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर हुई है। इस संबंध मं केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पहले 2 FIR दर्ज की थी। आइए पूरा मामला जानते हैं।

रिपोर्ट

CBI समेत कई एजेंसियों से मिली थी जानकारी

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, CBI द्वारा दर्ज 2 FIR, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI), राष्ट्रीय आवास बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) जैसी एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर ये कार्रवाई की गई है। ये छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 17 के तहत की जा रही है। इस मामले में CBI ने FIR संख्या RC2242022A0002 और RC2242022A003 दर्ज की थी।

कथित घोटाला

क्या है लोन धोखाधड़ी का मामला?

दरअसल, रिलायंस समूह की कंपनियों को 2017-2019 के बीच यस बैंक से करीब 3,000 करोड़ रुपये का लोन मिला था। ED की शुरुआती जांच में पता चला है कि इन लोन को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और समूह की अन्य इकाइयों में भेजा गया। अधिकारियों का कहना है कि लोन जारी करने से पहले यस बैंक के प्रवर्तकों से जुड़ी संस्थाओं को कुछ राशि मिली थी। ED को संदेह है कि ये बैंक अधिकारियों को मिली रिश्वत थी।

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गड़बड़ी

ED को जांच में क्या गड़बड़ियां मिलीं?

ED का कहना है कि ये कंपनियां सार्वजनिक धन की हेराफेरी और वित्तीय संस्थानों को गुमराह करने के लिए एक सोची-समझी योजना में शामिल थीं। 1. कई मामलों में मंजूरी से पहले ही राशि डाल दी गई। 2. कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों को लोन दिया गया। 3. कई कंपनियों में एक ही निदेशक और पता था। 4. बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए लोन दिए गए। 5. जरूरी दस्तावेजों के बिना राशि जारी की गई।

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CBI

मामले में CBI क्या कर रही है?

CBI ने 2 FIR दर्ज की है। ये यस बैंक द्वारा रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड को दिए गए अलग-अलग लोन से जुड़ी हैं। इन मामलों में CBI ने यस बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) राणा कपूर का नाम लिया था। वहीं, SEBI ने RHFL द्वारा दिए गए कॉर्पोरेट लोन में भारी उछाल देखने के बाद अपने निष्कर्ष ED से साझा किए हैं। ED इसमें संदिग्ध लोन डायवर्जन का पता लगा रही है।

SBI

SBI ने अनिल और उनकी कंपनियों को घोषित किया था 'फ्रॉड'

कुछ दिन पहले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी को 'फ्रॉड' घोषित किया था। SBI ने कहा था कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने बैंक से लिए गए 31,580 करोड़ रुपये के लोन का गलत इस्तेमाल किया। इसमें से करीब 13,667 करोड़ रुपये दूसरी कंपनियों के लोन चुकाने में खर्च कर दिए और 12,692 करोड़ रिलायंस समूह की दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए। SBI इस मामले में भी CBI को शिकायत करने की तैयारी कर रही है।

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