अनिल अंबानी को बड़ा झटका, SC ने कहा- एरिक्सन के पैसे चुकाएं नहीं तो जाएं जेल
रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड के प्रमुख अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने अनिल अंबानी और दो अन्य को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया है। कोर्ट ने अनिल अंबानी और दो अन्यों को चार हफ्तों में एरिक्सन को 453 करोड़ रुपये के भुगतान का आदेश दिया है। अगर वे ऐसा नहीं कर पाए तो उन्हें तीन महीने की सजा हो सकती है। एरिक्सन ने अंबानी पर 550 करोड़ रुपये नहीं चुकाने का आरोप लगाया था।
जुर्माना नहीं चुकाने पर जाना होगा जेल
कोर्ट ने इसके साथ ही तीनों पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अगर ये तीनों यह जुर्माना नहीं चुकाते हैं तो इन्हें एक महीने की सजा काटनी होगी।
ANI ने दी जानकारी
क्या था पूरा मामला
इस मामले में कोर्ट ने अक्टूबर 2018 रिलायंस कम्यूनिकेशन को 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा नहीं करने की स्थिति में उन्हें 12 फीसदी ब्याज के साथ कर्ज चुकाना पड़ेगा, लेकिन रिलायंस ने यह पैसा नहीं चुकाया। इसके बाद एरिक्सन ने अनिल अंबानी, रिलायंस टेलीकॉम के चेयरमैन सतीश सेठ, रिलायंस इन्फ्राटेल की चेयरपर्सन छाया विरानी और SBI चेयरमैन के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की।
क्या थे आरोप
एरिक्सन ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन पर अपना भुगतान नहीं देने का आरोप लगाया था। इसे लेकर एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। हालांकि, रिलायंस ने इस आरोप से इनकार किया था। दोनों पक्षों की अपील सुनने के बाद 13 फरवरी को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इस मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस विनीत सरन की बेंच ने यह आदेश दिया है।
कोर्ट ने कही यह बात
बेंच ने अपने फैसले में कहा, 'रिलायंस की तीनों कंपनियों की मंशा बकाया रकम का भुगतान करने की नहीं थी, इसलिए यह अदालत की अवमानना है।' कोर्ट ने कहा कि इस मामले में रिलायंस की बिना शर्त माफी स्वीकार नहीं की जा सकती।
फैसला आने के बाद धड़ाम हुए शेयर
कोर्ट के फैसले का असर अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) की दूसरी कंपनियों पर भी पड़ा है और इनके शेयर धड़ाम हो गए हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में रिलायंस कैपिटल के शेयर में नौ फीसदी गिरावट देखी गई। वहीं आरपावर के शेयर एक प्रतिशत तक टूट गए। जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले ही रिलायंस कम्यूनिकेशन ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दीवालिया होने की याचिका दायर की थी।