
कौन हैं सेवानिवृत्त अधिकारी संजय कुमार मिश्रा, जो बनाए गए प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सचिव?
क्या है खबर?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व निदेशक संजय कुमार मिश्रा बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख टीम में शामिल हो गए हैं।
उन्हें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) में सचिव नियुक्त किया गया है।
EAC-PM एक स्वतंत्र निकाय है, जिसका प्रमुख कार्य आर्थिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री को अद्यतन जानकारी प्रदान करना और सलाह देना है।
यह पहली बार नहीं है, जब संजय मिश्रा केंद्र सरकार के इतना करीब आए हों। उन्हें ED में कई बार सेवा विस्तार मिला है।
सेवा विस्तार
कौन हैं संजय कुमार मिश्रा?
संजय मिश्रा उत्तर प्रदेश से 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी हैं। उन्होंंने करीब 34 साल तक आयकर विभाग में सेवा दी है। वे आर्थिक मामलों के जानकार हैं।
उन्होंने दिल्ली में आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त का जिम्मा संभाला है। इसके अलावा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के विदेशी कर विभाग में भी रह चुके हैं।
63 वर्षीय मिश्रा पहली बार 2018 में ED के निदेशक बने थे, जिसके बाद वे अचानक चर्चा में आ गए।
करियर
विज्ञान से सीधे आर्थिक क्षेत्र के जानकार बने मिश्रा
लखनऊ के मूल निवासी मिश्रा के पास लखनऊ विश्वविद्यालय से बायोकैमिस्ट्री में मास्टर डिग्री है। वे सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CDRI) में सीनियर फेलो रिसर्च रहे हैं और इम्यूनोलॉजी पर कई पेपर लिखे हैं।
वर्ष 1984 में IRS बनने के बाद वे पहले 4 साल गोरखपुर में आयकर विभाग के सहायक निदेशक रहे, फिर 4 साल के अंदर ED में आ गए।
उन्हें आगरा और जयपुर के प्रभार के साथ सहायक निदेशक का पद मिला था।
विस्तार
प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम के साथ भी काम किया
जब मिश्रा ED में थे, तब एजेंसी केवल निरस्त हो चुके विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम के तहत विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामलों को देखती थी।
वर्ष 1994 से उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली में वापस आयकर विभाग का कामकाज संभाला।
2006 में उनका प्रवेश नीति निर्माण में हुआ और उन्हें वित्त मंत्रालय में प्रणब मुखर्जी और चिदंबरम के अधीन संयुक्त सचिव बनाया गया।
हालांकि, बाद में मिश्रा ने ही चिंदबरम और उनके बेटे की INX मीडिया मामले में जांच की।
विस्तार
केंद्र सरकार की नजर में कैसे आए मिश्रा?
कांग्रेस की UPA सरकार के बाद जब 2014 में भाजपा सत्ता में आई तो गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव से मिश्रा का तबादला कर दिया गया था। मिश्रा उन 50 वरिष्ठ नौकरशाहों में थे, जिन्हें मोदी सरकार ने शुरूआती महीनों में हटाया था।
लेकिन जैसे ही मिश्रा आयकर में वापस पहुंचे, उन्होंने यंग इंडिया और NDTV के खिलाफ कर निर्धारण का ऐसा मामला उठाया, जिसने केंद्र सरकार का ध्यान खींचा।
मिश्रा ने उन्हें मुकदमा चलाने योग्य अपराध में बदल दिया।
विवाद
ED में मिला 3 बार सेवा विस्तार, इतिहास में पहला मामला
मिश्रा केंद्र नजर में आ गए और धीरे-धीरे सरकार के खास बनते गए। उन्हें नवंबर, 2018 में 2 साल के लिए ED का निदेशक नियुक्त किया गया।
मई 2020 में वे 60 वर्ष के हो गए और उनको नवंबर 2020 को ED का पद छोड़ना था, लेकिन इसी बीच सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाकर 3 साल कर दिया।
इसके बाद केंद्र सरकार ED और CBI के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने का अध्यादेश लाई, जिसे संसद में पारित किया गया।
विवाद
मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
इसके बाद केंद्र सरकार ने नवंबर, 2021 में मिश्रा का कार्यकाल फिर बढ़ाया और नवंबर, 2022 में इसे फिर से बढ़ाकर नवंबर 2023 तक कर दिया।
इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए मिश्रा का सेवा विस्तार रद्द कर दिया और केंद्र सरकार को सिर्फ 15 दिन में नए ED निदेशक की नियुक्त करने को कहा।
यह इतिहास में पहली बार था, जब ED निदेशक को इतनी बार सेवा विस्तार दिया गया था।
मामले
मिश्रा कई सोनिया और राहुल गांधी समेत कई प्रमुख लोगों की जांच कर रहे थे
ED में रहते हुए मिश्रा ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी से 5 दिन में 42 घंटे और सोनिया से 3 दिन में 13 घंटे पूछताछ की थी।
उन्होंने चिदंबरम, हेमंत सोरेन, डीके शिवकुमार, शरद पवार, अनिल देशमुख, नवाब मलिक, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई प्रमुख विपक्षी नेताओं की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच की थी।
जानकारी
मिश्रा के कार्यकाल में PMLA के तहत खूब हुई कार्रवाई
मिश्रा ने अपने 5 साल के कार्यकाल में कई प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया। तब एजेंसी ने 4,000 मामले दर्ज किए और 3,000 से अधिक छापामारी कार्रवाई की थी। उनके समय में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) का काफी सख्ती से पालन किया गया था।