उत्तर प्रदेश और गुजरात समेत 5 राज्यों को मिले आधे से अधिक नए निवेश प्रस्ताव- RBI
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में बैंक से सहायता प्राप्त निवेश प्रस्तावों में से आधे से ज्यादा निवेश प्रस्ताव 5 राज्यों को मिले हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं। इसके साथ इस अवधि के दौरान बैंक ब्याज दरों में वृद्धि के बावजूद कुल निवेश योजनाओं में 3,52,624 करोड़ रुपये के पूंजी परिव्यय के साथ 79.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई जो 2014-15 के बाद सर्वाधिक थी।
किस राज्य में कितना निवेश हुआ?
अध्ययन के मुताबिक, 2022-23 में नए निवेश करने के मामले में उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र और कर्नाटक की कुल परियोजना लागत में 2,01,700 करोड़ रुपये यानी करीब 57.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। यह 2021-22 में 43.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी से अधिक है। उत्तर प्रदेश 43,180 करोड़ रुपये (16.2 प्रतिशत) के साथ पहले स्थान पर रहा। इसके बाद गुजरात (14 प्रतिशत), कर्नाटक (7.3 प्रतिशत), ओडिशा का (11.8 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (7.9 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही।
कितनी परियोजनाओं में किया गया निवेश?
RBI के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान रिकॉर्ड 3,52,624 करोड़ रुपये के पूंजी परिव्यय के साथ 982 परियोजनाओं में निवेश योजनाएं बनाई गईं, जबकि 2021-22 में 791 परियोजनाओं में 1,96,445 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। गौरतलब है कि नए निवेश में बढ़ोतरी ऐसे समय हुई है जब RBI ने अप्रैल, 2022 से रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 6.5 प्रतिशत कर दिया था।
किन राज्यों को मिला सबसे कम निवेश?
बैंक से सहायता प्राप्त परियोजनाओं में नए निवेश के मामले में केरल, गोवा और असम को सूची में सबसे नीचे स्थान मिला है। केरल को कुल निवेश परियोजनाओं का केवल 0.9 प्रतिशत यानी 2,399 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि कुल निवेश में असम और गोवा की हिस्सेदारी मात्र क्रमशः 0.7 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत रही। हरियाणा और पश्चिम बंगाल भी कई निवेश परियोजनाएं प्राप्त करने में असफल रहे जो कुल परियोजनाओं का लगभग 1 प्रतिशत या 2,665 करोड़ है।
निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र ने किया कितना निवेश?
RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2022-23 में विभिन्न चैनलों के माध्यम से 2,19,649 करोड़ रुपये का कुल पूंजी निवेश निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा किया गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.7 प्रतिशत अधिक है। आरबीआई ने कहा कि बाहरी वाणिज्यिक उधार (ECB) के माध्यम से पूंजी निवेश में गिरावट की भरपाई करने की तुलना में बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा वित्तपोषित पूंजीगत व्यय परियोजनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है।